What is cyber crime in hindi | साइबर क्राइम के प्रकार,

What is cyber crime in hindi 

What is cyber crime in hindi  प्रौद्योगिकी के सदुपयोग से मानव समाज सभ्य बनते हुए निरन्तर विकास कर रहा है तो कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोग इसका दुरुपयोग कर समाज को क्षति पहुँचा रहे हैं। ऐसा ही एक अपराध साइबर क्राइम है, जो इण्टरनेट प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित है। इण्टरनेट का सदुपयोग कर जहाँ आज पूरा विश्व एक गाँव के रूप में परिवर्तित हो गया है, वहीं इसका गलत प्रयोग कर साइबर अपराध जैसी जटिल व वैश्विक समस्या को जन्म दे दिया है, जिस पर नियन्त्रण पाना काफी कठिन है, क्योंकि इण्टरनेट का जाल पूरी दुनिया में फैला हुआ है। इस विश्वव्यापी समस्या के निदान के लिए पूरे विश्व को सामूहिक रूप से पहल करने की आवश्यकता है। इस दिशा में भारत सहित कई देशों ने सकारात्मक पहल करने का प्रयास किया है

What is cyber crime in hindi

 

What is cyber crime, साइबर क्राइम क्या है? 

सामान्य रूप में कोई भी ऐसा काम, जिससे कम्प्यूटर प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है, साइबर क्राइम कहलाता है। साइबर अपराध ऐसे गैर-कानूनी कार्य हैं, जिनमें कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट का प्रयोग एक साधन अथवा लक्ष्य अथवा दोनों रूपों में किया जाता है। द ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एण्ड डेवलपमेण्ट (ओईसीडी) के अनुसार “बिना पूर्व अनुमति के आँकड़ों के संसाधन और संचरण से सम्बन्धित कोई भी गैर-कानूनी, अनैतिक अनाधिकृत कार्य साइबर अपराध की श्रेणी में आता है।” ऐसे अपराधों में हैकिंग, चाइल्ड पॉर्नोग्राफी, साइबर स्टॉकिंग, सॉफ्टवेयर पाइरेसी, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, फिशिंग आदि को शामिल किया जाता है।

Types of cybercrimes|साइबर क्राइम के प्रकार 

साइबर क्राइम को निम्नलिखित रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है

Haking

हैकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें हैकिंग करने वाला किसी अन्य व्यक्ति की जानकारी को बिना उसकी अनुमति के चोरी करता है। किसी भी कम्प्यूटर नेटवर्क, बेबसाइट या सॉफ्टवेयर में मौजूद खामियों की मदद से गोपनीय जानकारी को बिना अनुमति के एकत्र करने की प्रक्रिया हैकिंग कहलाती है।

स्पैम ई -मेल 

स्पैम ई -मेल इसमें अनेक प्रकार के ई-मेल आते हैं जिसमें ऐसे ई-मेल भी होते हैं जो सिर्फ कम्प्यूटर को नुकसान पहुँचाते हैं। उन ई-मेल से सारे कम्प्यूटर में खराबी आ जाती है।

फिशिंग 

इसे हिन्दी में ऑनलाइन जालसाजी कहा जाता है। इसके अन्तर्गत अपराधी फिशिंग के माध्यम से नकली ई-मेल या सन्देश भेजता है, जो किसी प्रतिष्ठित कम्पनी, आपके बैंक क्रेडिट, ऑनलाइन शॉपिंग की तरह मिलते-जुलते होते हैं। इसका उद्देश्य लोगों की निजी पहचान से जुड़ी जानकारियाँ एकत्र करना होता है। निजी जानकारियों में नाम, ई-मेल, यूजर आई डी, पासवर्ड, मोबाइल नम्बर, पता, बैंक खाता संख्या, ATM पिन, डेबिट या क्रेडिट कार्ड नम्बर, सीबीबी पिन, जन्मतिथि इत्यादि शामिल होते हैं।

रैनसमवेयर

यह एक प्रकार का फिरौती मांगने वाला सॉफ्टवेयर है। इसे इस प्रकार से बनाया जाता है कि वह किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम की सभी फाइलों को एनक्रिप्ट कर देता है तथा उसके बाद फिरौती की माँग करता है और नहीं देने पर कम्प्यूटर की सभी फाइलों को नष्ट कर देता है।

Cyber Stalking

इसके अन्तर्गत कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह किसी दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह का इण्टरनेट के माध्यम से पीछा करता है और उसे प्रत्येक तरह से हानि पहुँचाने और प्रताड़ित करने का प्रयास करता है। इसके अन्तर्गत इण्टरनेट पर झूठे आरोप लगाना, गाली देना, यौन शोषण, डेटा उपकरण की छेड़छाड़ इत्यादि को शामिल किया जाता है।

Child Ponography 

बच्चों को सेक्सुअल एक्ट में या नम्न दिखाते हुए इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में कोई चीज प्रकाशित करना या दूसरों को भेजना चाइल्ड पॉर्नोग्राफी कहलाता है।

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साइबर क्राइम का बढ़ता दायरा

साइबर अपराध का सबसे जटिल पक्ष यह है कि विश्व के किसी भी कोने में बैठकर इस अपराध को अंजाम दिया जा सकता है। वर्तमान में ऑनलाइन धोखाधड़ी, हैकिंग, फिशिंग बुलिंग इत्यादि जैसी समस्या से पूरा विश्व पीड़ित है। यहाँ तक कि विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली देश अमेरिका भी इससे अछूता नहीं है। हैकिंग को लोगों ने आज रुचि व व्यवसाय बना लिया है। विश्व के सभी देशों के सरकारी संस्थानों की साइट को कभी-कभी हैक करने का प्रयास किया जाता है। भारत में प्रधानमन्त्री कार्यालय से लेकर रक्षा व विदेश मन्त्रालय, भारतीय दूताबासों, मिसाइल प्रणालियों आदि के कम्प्यूटरों पर साइबर हमला हो चुका है।

आज विभिन्न बायरसों के माध्यम से साइबर सुरक्षा कवच को नुकसान पहुँचाया जा रहा है। वर्तमान में किसी का चेहरा और किसी का धड़ जोड़कर मोफिंग के माध्यम से पोर्नोग्राफी, पेडो फाइल (बाल यौन शोषण) से लेकर लिंग निर्धारण के अपराध भी साइवर जगत के प्रमुख अपराध बन चुके हैं। अश्लील साइट्स भी साइबर अपराध के अन्तर्गत के आती हैं। युवा वर्ग तेजी से इसकी गिरफ्त में आ जाता है। इस प्रकार की साइटें सांस्कृतिक और वैचारिक रूप से समाज में गन्दगी फैला रही है। साइबर क्राइम के माध्यम से आज धार्मिक-राजनीतिक उन्माद भी पैदा कर दिया जाता है।

आज आतंकवादी भी साइबर क्राइम के माध्यम से विश्व में दहशत फैला रहे हैं। आतंकवादी अपनी योजना व अन्य गोपनीय सन्देश को चैटरूम, अश्लील वेबसाइटों के बुलेटिन बोर्ड और अन्य ऐसी बेबसाइटों पर रख रहे हैं, जिन पर आसानी से सन्देह नहीं किया जा सकता है। इण्टरनेट आज आतंकवादियों के लिए गुप्त सन्देशों के आदान-प्रदान का सुरक्षित और त्वरित माध्यम बना हुआ है।

फिर इण्टरनेट बैंकिंग में भी साइबर अपराध के घातक प्रभाव देखे जाते हैं। खातों से रकम का निकलना आज आम समस्या बन गई है, जिसके शिकार पढ़े-लिखे लोग भी हो रहे हैं। साथ ही साइवर अपराध के कारण देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुँचता है। एक तरफ हैकिंग आदि का खतरा रहता है तो दूसरी तरफ इसे रोकने हेतु बड़ी मात्रा में राशि खर्च हो रही है। भारत में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए की क्षति साइबर अपराधों के कारण होती है तथा सुरक्षा के इन्तजाम में भी करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। अमेरिका में तो प्रतिवर्ष इन अपराधों के कारण 10 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है।

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अन्तर्राष्ट्रीय पहल की आवश्यकता

साइबर क्राइम आज एक बिश्वव्यापी समस्या बन चुका है। इससे निपटने के लिए एक मजबूत अन्तर्राष्ट्रीय कानून की आवश्यकता है, साथ ही वैश्विक स्तर पर सुरक्षा का एक मजबूत तन्त्र भी विकसित किए जाने की आवश्यकता है। लेकिन इस सन्दर्भ में आज सबसे बड़ी समस्या यह है कि हर देश का आईटी एक्ट अलग होता है।

 विदेशों में सरकारें किसी बेबसाइट को ब्लॉक करने की जगह उसे सुधारने में विश्वास करती है, जबकि भारत में बेबसाइट को ही बन्द करने की माँग शुरू हो जाती है। भारतीय आईटी एक्ट के अनुसार किसी वेबसाइट को तब तक बन्द नहीं किया जा सकता, जब तक कि उस पर डाली जा रही सामग्री या सूचना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा न हो। वैसे भी किसी बेबसाइट को बन्द कर देने से समस्या का समाधान नहीं होता है, लेकिन यह भी सही है कि बेबसाइट समस्या के प्रचार का साधन है।

बुडापेस्ट कन्वेंशन साइबर क्राइम पर एक कन्वेंशन है। यह इस सन्दर्भ में पहली ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि है, जिसके अन्तर्गत राष्ट्रीय कानूनों को सुव्यवस्थित करके, जाँच-पड़ताल की तकनीकों में सुधार करके तथा इस सम्बन्ध में विश्व के अन्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने हेतु इण्टरनेट और कम्प्यूटर अपराधों पर रोक लगाने की माँग की गई है। इस कन्वेंशन में कुल 56 सदस्य हैं। भारत ने अभी तक इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है। राष्ट्रीय सम्प्रभुता के मुद्दे पर रूस तथा चीन भी इसका विरोध करते रहे हैं।

रूस ने बुडापेस्ट अभिसमय के समकक्ष अन्तर्राष्ट्रीय साइबर अपराध से निपटने के लिए अपना प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव को दिसम्बर, 2019 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मंजूरी दे दी गई। इस नए ड्राफ्ट के अन्तर्गत एक विशेषज्ञ समिति की स्थापना की जाएगी। इसमें विश्व के सभी क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इसके लिए अगस्त, 2020 में न्यूयॉर्क में एक नई सन्धि की जाएगी, जिसके अन्तर्गत सभी सदस्य राष्ट्र साइबर अपराध से जुड़े आँकड़ों को साझा करेंगे।

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साइबर अपराध पर नियन्त्रण हेतु भारत के प्रयास

भारत विश्व में चीन के पश्चात् दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। साथ ही यहाँ साइवर क्राइम की घटनाएँ निरन्तर देखी जाती रही हैं। इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत सरकार का प्रमुख दायित्व है। अतः भारत सरकार ने सूचना ने प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 पारित किया है, जिसके प्रावधानों के साथ-साथ भारतीय दण्ड संहिता के प्रावधान सम्मिलित रूप से साइबर अपराध से निपटने के लिए पर्याप्त हैं। आईटी एक्ट 2000 की धाराएँ 43.43 ए, 66, 66 बी, 66. सी. 66 डी, 66 ई. 66 एफ, 67, 67ए, 67 बी, 70, 72, 72 ए और 74 हैकिंग और साइबर अपराधों से सम्बन्धित हैं। सरकार ने सुरक्षा से सम्बन्धित फ्रेमवर्क का अनुमोदन किया है और इसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् सचिवालय को नोडल एजेंसी बनाया गया है।

सरकार द्वारा राष्ट्रीय साइवर सुरक्षा नीति-2013′ जारी की गई, जिसके तहत सरकार द्वारा अति संवेदनशील सूचनाओं के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय अति संवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केन्द्र (National Critical Information Infrastructure Protection Centre, NCIPC) का गठन किया गया है। इसके अन्तर्गत 2 वर्ष से लेकर उम्रकैद तथा दण्ड अथवा जुर्माने का भी प्रावधान है। सरकार द्वारा कम्प्यूटर इमरजेन्सी रिस्पांस टीम की स्थापना की गई जो कम्प्यूटर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय एजेन्सी है। जनवरी, 2020 में गृह मन्त्रालय द्वारा साइबर क्राइम से निपटने के लिए ‘भारतीय साइवर अपराध समन्वय केन्द्र का उद्घाटन किया गया। इस योजना के 7 घटक हैं।

साइबर सुरक्षा की रणनीतियों पर विशेष ध्यान देते हुए अगस्त, 2019 में ‘नई राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति’ को लेकर भारतीय सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसको लेकर राज्यों द्वारा भी महत्त्वपूर्ण पहल की गई है, जैसे केरल पुलिस विभाग द्वारा विकसित किया गया साइबर डोम परियोजना’। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न विभागों व • नोडल एजेन्सियों के साथ मिलकर एक पारिस्थितिकी तन्त्र विकसित कर बढ़ते साइबर हमलों के खतरे व अपराधों को रोकना है। इस प्रकार से राज्य भी इसकी खतरों से बचाव हेतु प्रयासरत है।

इसके अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम, भारतीय साइवर अपराध समन्वय केन्द्र, साइबर स्वच्छता केन्द्र आदि स्थापित किए गए हैं, साथ ही सूचना, सुरक्षा, शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। साथ ही भारत अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों के साथ इस सन्दर्भ में समन्वय स्थापित कर रहा है।

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Conclusion

What is cyber crime in hindi इस प्रकार, कहा जा सकता है कि साइवर क्राइम आज एक जटिल वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुका है, जिसका सामना सभी को मिलकर करना होगा। आज इसे गम्भीरता से लेते हुए राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नियन्त्रण हेतु ठोस कदम बढ़ाने के प्रयास भी हो रहे हैं। साथ ही आम आदमी भी यह ध्यान रखे कि इससे बचने के लिए इण्टरनेट पर सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है अर्थात् अपनी निजी जानकारी इण्टरनेट व अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामग्री पर शेयर करने से बचना चाहिए और कम्प्यूटर व इण्टरनेट जैसी प्रौद्योगिकी का प्रयोग मानव कल्याण के लिए करना चाहिए।

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नमस्कार दोस्तों, मैं अमजद अली, Achiverce Information का Author हूँ. Education की बात करूँ तो मैंने Graduate B.A Program Delhi University से किया हूँ और तकनीकी शिक्षा की बात करे तो मैने Information Technology (I.T) Web development का भी ज्ञान लिया है मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है. इसलिए मैने इस Blog को दुसरो को तकनीक और शिक्षा से जुड़े जानकारी देने के लिए बनाया है मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे

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