What E waste kya hai?| इलेक्ट्रॉनिक कचरा पर निबंध | Electronic kachra kya hai @2022

What E waste kya hai?

What E waste kya hai? प्रिय पाठक आज हम बहुत ही महत्वपूर्ण विषय और बहुत ही नवीनतम समस्या से जुड़े विषय के बारे में बताने जा रहा है जो  E waste जिसे हम हिन्दी में इलेक्ट्रॉनिक कचरा कहते है तो what E waste क्या है? E waste का प्रभाव क्या है? इन्हीं सभी सवालों का जवाब इस लेख के द्वारा हमने देने का प्रयास किया है । 

Electronic kachra kya hai

Electronic kachra – इलेक्ट्रॉनिक क्रान्ति ने हमारे जीवन को सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण कर दिया है। विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक आविष्कारों के कारण संचार तन्त्र को विस्तार एवं व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। कम्प्यूटर, रेफ्रिजरेटर, एयर कण्डीशन, सेल्युलर फोन, वाशिंग मशीन, कैमरा आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण ने मानव सभ्यता को नया आयाम दिया है, परन्तु आज बड़ी संख्या में खराब होने वाली इन्हीं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के अम्बार ने ई-कचरे के रूप में एक नई पर्यावरणीय समस्या को जन्म दिया है।

जब हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लम्बे समय तक प्रयोग करने के पश्चात् उसको बदलने / खराब होने पर दूसरा नया उपकरण प्रयोग में लाते हैं तो इस निष्प्रयोज्य खराब उपकरण को ई-कचरा कहा जाता है। उदाहरण के लिए, कम्प्यूटर,मोबाइल फोन, प्रिंटर, फोटोकॉपी मशीन, इन्वर्टर, यूपीएस, एलसीडी / टेलीविजन, रेडियो, डिजिटल कैमरा आदि।

इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं में उपयोग आने वाले अधिकतर अवयवों में बायोडिग्रेडेबल होने की विशेषता नहीं पाई जाती है और न ही इनमें मिट्टी में घुल-मिल जाने का ही गुण होता है। ई-कचरे में मुख्यतः लोहा, जस्ता, एल्युमीनियम, सीसा, टिन, चाँदी, सोना, आर्सेनिक, गिल्ट, क्रोमियम, कैडमियम, पारा, इडियम, सैलिनियम, वैनेडियम, रुथेनियम जैसी धातुएँ मिली होती हैं।

What E waste kya hai

 

Electronic kachra की उत्पत्ति के कारण

ई-कचरे के उत्पन्न होने का कारण बढ़ती आबादी एवं उसकी आवश्यकताएँ हैं। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य भी ऐसे कारण हैं जो कि मिलकर इसे एक बहुत बड़ा खतरा बना रहे हैं। एक कहावत है कि किसी भी वस्तु का अत्यधिक होना स्वयं में एक आपदा होती है। ई-कचरे की उत्पत्ति के प्रमुख कारण निम्न हैं।

कम्प्यूटर का अत्यधिक उपयोग

यदि वर्तमान समय की बात की जाए तो यह स्पष्ट होता है कि दुनियाभर में करीब 1 खरब से भी अधिक पर्सनल कम्प्यूटर मौजूद हैं। वहीं विकसित देशों में इनकी औसत अवधि 2 वर्ष की होती है। विकसित ही नहीं बल्कि विकासशील देशों में भी कम्प्यूटर का प्रचलन काफी बढ़ गया है, जिसके चलते कम्प्यूटरों की बिक्री भी इन देशों में बढ़ गई है। समय के साथ-साथ बहुत से कम्प्यूटर उपयोग से बाहर हो जाते हैं, तो वे मात्र ई-कचरे के रूप में मौजूद रहते हैं। ऐसे में यदि ई-कचरे के समुचित निपटान के बारे में उपाय नहीं किया जाएगा, तो भविष्य में ये एक बड़ा खतरा बन सकते हैं।

तकनीकी

वर्तमान युग तकनीकी का युग है, जिसके कारण तकनीकी का उपयोग तेजी से बढ़ा है। नई-नई तकनीकी के चलते बाजार में नए-नए इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद आ रहे हैं, जिससे लोग अब पुरानी वस्तुओं को खराब न होते हुए भी प्रयोग नहीं करना चाहते हैं। अत: नई-नई एवं उन्नत तकनीकी के चलते इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का प्रचलन बढ़ता जा रहा है, जो ई-कचरे की समस्या को बढ़ा रहा है।

व्यक्ति की मानसिकता 

मानव की ऐसी मानसिकता बनती जा रही है कि नई वस्तुओं के आने पर वह पुरानी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहता है, क्योंकि नई वस्तुएँ सभी के आकर्षण का कारण बनती है। इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के सम्बन्ध में यह तथ्य सत्य प्रतीत होता है। आर्थिक समृद्धि के कारण लोग अपनी पुरानी वस्तुओं के स्थान पर नई वस्तुओं का अधिक प्रयोग करना चाहते हैं। इस प्रकार से पुराने उत्पाद बाद में ई-कचरे में बदल जाते हैं।

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बढ़ती जनसंख्या

बढ़ती जनसंख्या के कारण उपयोगी वस्तुओं की संख्या काफी बढ़ गई है। निष्कर्षतः इससे ई-कचरे की मात्रा भी काफी बढ़ गई है।

E waste का प्रभाव

ई-कचरा विभिन्न रूपों में हानिकारक होता है। बायोडिeग्रेडेबल नहीं होने के कारण यह मानव स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव डालता है। निम्न तथ्यों द्वारा इसके प्रभाव को समझा जा सकता है

वायु पर प्रभाव

ई-कचरा वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण होता है। ई-कचरे में बहुत सी ऐसी वस्तुएँ आती हैं, जिन्हें पाने के लिए लोग उन्हें जला देते हैं, जिसके चलते वायु प्रदूषित होती है, जो मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है। बायर, ब्लेंडर्स आदि इस प्रकार के ई-कचरे के उदाहरण है।

जल पर प्रभाव

यदि इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं को, जिनमें भारी धातुएँ; जैसे-लेड, बेरियम, मरकरी, लिथियम आदि होते हैं, सही रूप से निस्तारित न किया गया तो ये मिट्टी में मिलकर भू-जल चैनल तक पहुँच जाते हैं, जोकि आगे चलकर भू-जल को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं। जिसके चलते प्रदूषित जल का उपयोग करने से लोग कई प्रकार की जल जनित बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।

मिट्टी पर प्रभाव

यदि ई-कचरे को सही ढंग से निस्तारित नहीं किया जाता है, तो इसमें स्थित भारी धातुएँ और केमिकल्स हमारे “Soil-crop-food Pathway” में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे कि ये भारी धातुएँ मनुष्यों के संस्पर्श में आती हैं। ये केमिकल्स बायोडिग्रेडेबल नहीं होते हैं, अत: ये बातावरण में लम्बे समय तक उपस्थित रहते हैं, जिसके चलते इसके Risk of Exposer बहुत मात्रा में बढ़ जाते हैं।

इन केमिकल्स का मनुष्यों एवं दूसरे जीवधारियों पर व्यापक दुष्प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण उनका ब्रेन, हार्ट, लिवर, किडनी आदि खराब हो जाते हैं। इसके साथ-साथ बच्चे विकलांग जन्म लेते हैं। कह सकते हैं कि इससे मिट्टी प्रदूषित होती है, जोकि आगे चलकर घातक रूप ले सकती है। 

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E waste का सुरक्षित उपचार एवं निस्तारण की विधियाँ

E waste का सुरक्षित उपचार एवं निस्तारण मुख्यतः 5 प्रकार से किया जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं

सुरक्षित विधि से भूमि में दबाना (सिक्योर्ड लैण्डकीलिंग)- ई-कचरे को समतल जमीन में गड्ढों का निर्माण कर उसमें ई-कचरे को डालकर मिट्टी से दबा दिया जाता है। किन्तु ई-कचरे के सुरक्षित निस्तारण हेतु गड्डों को प्लास्टिक (एचडीपीई) की मोटी शीट से लाइनिंग करके सतह को सुरक्षित रखते हुए दबाया जाना चाहिए।

भस्मीकरण (इंसिनेरेशन)

इस प्रक्रिया में ई-कचरे को 900 से 1000 डिग्री सेण्टीग्रेड तापमान पर इंसिनेरेटर के अन्दर पूर्णतः बन्द चैम्बर में जलाया जाता है, जिससे उसमें ई-कचरे की मात्रा काफी कम हो जाती है तथा उसमें उपस्थित आर्गेनिक पदार्थ की विषाक्तता भी कम हो जाती है। इंसिनेरेटर में लगी हुई चिमनी से निकलने वाले थुएँ एवं गैस को वायु प्रदूषण नियन्त्रण व्यवस्था (एपीसीएस) के माध्यम से गुजारा जाता है एवं धुएँ में उपस्थित विभिन्न प्रकार की धातुओं को रासायनिक क्रिया से पृथक् कर लिया जाता है तथा गैसों को उपचारित किया जाता है।

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रिसाइकिलिंग

इस बिधि में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक कचरे; जैसे-मॉनीटर, की-बोर्ड, लैपटॉप, पिक्चर ट्यूब, टेलीफोन, हार्ड ड्राइव, सीडी ड्राइव, फैक्स मशीन, प्रिण्टर, सीपीयू, मोडेम, केबिल आदि उपकरणों का पुनः चक्रण किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में विभिन्न धातुओं एवं प्लास्टिक को तोड़-फोड़कर अलग-अलग करके उसको पुनः उपयोग हेतु संरक्षित कर लिया जाता है। 

एसिड के द्वारा मेटल की रिकवरी

ई-कचरे से विभिन्न प्रकार के पार्ट्स; जैसे-फेरस व नॉन-फेरस मेटल एवं प्रिण्टेड सर्किट बोर्ड को पृथक्-पृथक् कर लेते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के मेटल; जैसे-लेड, कॉपर, एल्युमिनियम, सिल्वर, गोल्ड प्लेटिनम आदि धातुओं की रिकवरी के लिए सान्द्र एसिड का प्रयोग करके पृथक् कर लेते हैं। अवशेष प्लास्टिक कचरे को पुनः प्रयोग करने हेतु रिसाइकिल कर लिया जाता है।

री-यूज (पुन: उपयोग)

पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत करके उसे पुनः उपयोग हेतु बनाया जाता है; जैसे-कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल, ट्रांजिस्टर, टेलीविजन, इन्वर्टर, प्रिण्टर आदि। इस प्रकार इस प्रक्रिया से उपकरणों को ठीक कर पुन: उपयोग में लाया जा सकता है।

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भारत में Electronic kachra की समस्या

Electronic kachra की वैश्विक मात्रा वर्ष 2016 में 4.47 करो इटन थी, जिसके 2021 तक 5.52 करोड़ टन तक पहुँचने की सम्भावना है। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 20 लाख टन ई-कचरा पैदा होता है। भारत विश्व में सबसे अधिक ई-कचरा उत्पन्न करने वाले शीर्ष पाँच देशों में शामिल है। भारत के अतिरिक्त इस सूची में चीन, अमेरिका, जापान और जर्मनी हैं।

जून, 2018 में प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मण्डल एसोचैम’ और एनईसी (नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ई-कचरे में सर्वाधिक योगदान महाराष्ट्र (19.8%) का है, जबकि इस मामले में तमिलनाडु का दूसरा और उत्तर प्रदेश का तीसरा स्थान है। ई-कचरा सामग्री में कम्प्यूटर उपकरण लगभग 70%, दूरसंचार उपकरण 12%, विद्युत उपकरण 8%, चिकित्सा उपकरण 7% और बाकी घरेलू सामान का योगदान 4% पाया जाता है।

Electronic kachra kya hai

 


भारत में E waste प्रबन्धन के उपाय

उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 1997 में ई-कचरे के व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था, परन्तु चोरी-छिपे आज भी बड़ी मात्रा में इसका आयात किया जा रहा है, जिससे इसके प्रबन्धन में समस्या आ रही है। ज्ञात हो कि अपशिष्ट प्रबन्धन से तात्पर्य उस सम्पूर्ण श्रृंखला से होता है, जिसमें अपशिष्ट के निर्माण से लेकर उसके संग्रहण व परिवहन के साथ प्रसंस्करण एवं निस्तारण तक की सम्पूर्ण प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं। भारत में ई-प्रबन्धन सम्बन्धित कानून वर्ष 2011 में बनाए गए थे, जिसमें अपशिष्टों के न्यूनीकरण पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण जैसी प्रक्रियाओं को अमल में लाने तथा बाहरी कचरे को कम करने जैसे प्रावधान शामिल किए गए हैं।

  • यह नियम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माता को उपयोग के बाद ग्राहक से अपने निष्प्रयोज्य उपकरण वापस लेने की बाध्यता आरोपित करता है। साथ ही यह भी प्रावधान है कि निर्माता ऐसे कचरे को ऐसी संस्था को ही बेचें, जिन्हें इनके निस्तारण या पुनर्चक्रण का लाइसेंस प्राप्त है।
  • इसके अतिरिक्त विनिर्माता को ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद पर, जो पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं, विशेष उल्लेख करने वाले लेबल लगाने का निर्देश है। 
  • इन उत्पादों के विनिर्माताओं पर इस नियमावली द्वारा ई-कचरे के निपटान पर एक वार्षिक विवरण भी पर्यावरण एवं वन मन्त्रालय को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
  • नियम के अनुसार कोई भी विनिर्माता ई-कचरे को तीन माह से अधिक समय तक अपने परिसर में नहीं रख सकेगा।
  • नियमावली में विदेशों से भारत आने वाले E waste के आयात को रोकने का भी प्रावधान है।
  • इस दिशा में सन्तोषजनक सफलता मिलने के कारण पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मन्त्रालय द्वारा वर्ष 2016 में ई-अपशिष्ट (प्रबन्धन तथा निपटान) नियम को अधिसूचित कर ई अपशिष्ट प्रबन्धन नियमों के क्रियान्वयन में आ रही व्यावहारिक परेशानियों को दूर करने हेतु नियमों में कुछ परिवर्तन किया गया, जो वर्ष 2016 से प्रभावी हो गया।
  • इसमें कहा गया है कि यह नियम प्रत्येक निर्माता, उत्पादनकर्ता, उपभोक्ता विक्रेता, आदि पर लागू होगा तथा E waste के निपटारे हेतु श्रमिकों को प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक होगा।
  • अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक रूप प्रदान किया जाएगा। सरकार ने देश में ई-कचरे के पर्यावरण अनुकूल एवं प्रभावी प्रबन्धन के लिए ई-कचरा नियमों में संशोधन किया है।

E waste प्रबन्ध संशोधन नियम, 2018 की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं

Electronic kachra संग्रहण के नए निर्धारित लक्ष्य 1 अक्टूबर, 2017 से प्रभावी माने गए हैं। विभिन्न चरणों में ई-कचरे का संग्रहण लक्ष्य 2017-18 के दौरान उत्पन्न किए गए वजन का 10% निर्धारित है, जो वर्ष 2023 तक प्रतिवर्ष 10% की दर से बढ़ता जाएगा। वर्ष 2023 के बाद यह लक्ष्य कुल उत्पन्न कचरे का 70% हो जाएगा। यदि किसी उत्पादक के बिक्री परिचालन के वर्ष उसके उत्पादों की औसत आयु से कम होंगे, तो ऐसे नए ई-उत्पादकों के लिए ई-कचरा संग्रहण हेतु अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किए जाएँगे उत्पादों की औसत आयु समय-समय पर केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित की जाएगी।

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Electronic kachra के निपटान के लिए भारत सरकार द्वारा ई-कचरा क्लीनिक खोला गया है। घरेलू और व्यावसायिक इकाइयों के कचरे के पृथक्करण, प्रसंस्करण और निपटान के लिए भारत का पहला ऐसा E waste क्लीनिक मध्य प्रदेश के भोपाल में 24 जनवरी, 2020 को पायलट प्रोजेक्ट के तहत खोला गया है। इसके लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड और भोपाल नगर निगम के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक कचरे को या तो डोर-टू-डोर एकत्रित किया जाएगा या व्यक्तियों द्वारा सीधे क्लीनिक में जमा कराया जा सकेगा। यदि यह सफल होती है तो इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।

Conclusion

what E waste क्या है। इस प्रकार Electronic kachra  की समस्या को कम करने एवं इसके दुष्प्रभाव से बचने हेतु ग्रीन पीसी की अवधारणा पर बल दिया जाना चाहिए, जिससे ऐसे उत्पादित कम्प्यूटरों में बिजली खपत कम होगी, साथ ही ये पर्यावरण को उतना नुकसान भी नहीं करेंगे। ग्रीन पीसी के निर्माण घटकों में पर्यावरण हितैषी अविषैले सामानों को ही प्रयोग में लाया जाता है।

ऐसे कम्प्यूटरों के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए, जिनके अवयवों को रिसाइकिल किया जा सके। इसके साथ ही ऐसी वस्तुओं के निर्माण पर बल दिया जाना चाहिए जो प्रदूषण रहित, पर्यावरणीय हितकर तथा अपशिष्ट पुनर्चक्रण की संकल्पना पर आधारित हो। जैसा कि वर्ष 2017 में वैज्ञानिकों के एक दल ने अपशिष्ट टायलेट पेपर का उपयोग नवीकरणीय विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने में किया।

What E waste kya hai? अत: देश में E waste को कम करने हेतु कानून का सशक्त रूप से पालन करने की आवश्यकता है, परन्तु सरकार के साथ-साथ उपभोक्ताओं की सजगता भी अत्यन्त आवश्यक है। यदि सरकार और जनता दोनों जागरूक हो जाएँ, तो निश्चय ही भविष्य में ई-कचरे की समस्या से छुटकारा पाया जा सकेगा। इस दिशा में उपकरणों के निर्माता व उपभोक्ता की जिम्मेदारी काफी महत्त्वपूर्ण पहल सिद्ध होगी।

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नमस्कार दोस्तों, मैं अमजद अली, Achiverce Information का Author हूँ. Education की बात करूँ तो मैंने Graduate B.A Program Delhi University से किया हूँ और तकनीकी शिक्षा की बात करे तो मैने Information Technology (I.T) Web development का भी ज्ञान लिया है मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है. इसलिए मैने इस Blog को दुसरो को तकनीक और शिक्षा से जुड़े जानकारी देने के लिए बनाया है मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे

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