Mughal samrajya ke patan ke karan | मुगल साम्राज्य के पतन के कारण

मुगल साम्राज्य के पतन के कारण Mughal samrajya ke patan ke karan

दोस्तों आप का स्वागत है हमारे Achiverce Information में तो आज का हम आपको बताने जा रहे Mughal samrajya ke patan ke karan, मुगल सम्राज्य का अंत,इन सभी विषय पर हमने इस पोस्ट जानकारी देने का प्रयास किया है। 

Mughal samrajya ke patan ke karan

भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना बाबर ने की थी तथा अकबर ने उसके साम्राज्य को ऊचाईयों तक पहुँचाने में अपना महत्वपुर्ण योगदान दिया था। जहाँगीर ने उसे साम्राज्य को वैभवपूर्ण बनाया और शाहजहाँ ने उसे ऐश्वर्यता प्रदान की जिससे विदेशी शासको की आंखें भी चकाचौंध हो गई। परंतु औरंगजेब की गलत नीतियों के कारण मुगल साम्राज्य धीरे-धीरे अपने पतन की ओर बढ़ने लगा। और आगे आने वाली कुछ महत्त्वपूर्ण राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक घटनाए मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बनी जिन्हें हम निम्न प्रकार से समझ सकते है:

Mughal samrajya ke patan ke karan

 

राजनीतिक कारण

मराठों से युद्ध

इतिहासकार इरफान हबीब के अनुसार मराठे एकमात्र सबसे बड़ी शक्ति थे मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बने शिवाजी के नेतृत्व में मराठे एक शक्तिशाली दल के रूप में उभरे परंतु 1689 में औरंगजेब ने मराठों को कुचल दिया और सरदार शम्भाजी को पकड़ लिया लेकिन इसके बाद मराठों ने स्वयं को दुबारा संगठित किया मुगल साम्राज्य के लिए समस्याएं खड़ी कर दी। 

औरंगजेब के जीवन में तो मराठे अधिक सफल न हो सके परंतु उसकी मृत्यु के पश्चात् मराठों ने अपनी गतिविधियाँ तेज कर दी मराठों के साथ लड़ाईयों में मुगल खजाने पर बहुत बोझ पड़ने लगा और दक्षिण भारत पर नियंत्रण करना उनके लिए मुश्किल हो गया।

औरंगजेब की धर्मान्धता

औरंगजेब ने कहरता का सहारा लिया और जबरन लोगों को धर्म परिवर्तन करने के लिए बाध्य किया तथा अन्य धर्मो कि धार्मिक यात्राओं पर कर लगा दिये, हिन्दु मंदिरों को ध्वस्त कर दिया, मूर्तियों को तोड़-फोड़ दिया, और विरोध करने वालो को मौत के घाट उतार दिया, जिससे जनता में उसकी छवि खराब हो गई थी।

औरंगजेब की शंकालु प्रवृति

औरंगजेब अपनी शंकालु प्रवृति के कारण शासन की सभी महत्वपूर्ण शक्तियाँ अपने पास रखता था इससे उसकी वृद्धावस्था में दूर प्रांतो के सूबेदारो ने उसके साथ वफादारी नही कि उसके अपने प्रशासनिक अधिकारी भी अंदर ही अंदर घृणा करने लगे थे। इसका नतीजा यह हुआ कि तब तक उसके अंदर शरीरिक योग्यता थी तक तक उसका प्रशासन पर नियंत्रण रहा परंतु उसकी मृत्यु के बाद सब बिखर गया।

उत्तराधिकार का युद्ध

उत्तराधिकार की लड़ाई भी मुगल साम्राज्य के पतन का एक बड़ा कारण थी शाहजहाँ के चारो बेटों की आपसी लड़ाई इसका एक मुख्य उदाहरण है सत्ता प्राप्ति के लालच में मुगल परिवारों की आपसी लड़ाई ने मुगल साम्राज्य की नीवं को कमजोर कर दिया था फलस्वरूप मुगल साम्राज्य का पतन हुआ।

साम्राज्य का अतिविस्तार 

मुगल शासको के अन्दर अपने साम्राज्य का विस्तार करने की लालसा अत्याधिक थी। बाबर और अकबर ने अपने साम्राज्य का खुब विस्तार किया और औरंगजेब भी इसमें पीछे नहीं था। परंतु कुशल प्रबंध के बिना इतने बड़े साम्राज्य पर नियंत्रण रख पाना संभव न हो सका औरंगजेब चाह कर भी अपने जीते हुए प्रदेशो के साथ न्याय न कर सका और धीरे-धीरे मुगल साम्राज्य की पकड़ अनेक क्षेत्रों पर कमजोर पड़ गई और मुगल साम्राज्य का विघटन होने लगा।

Read more– इक्तादारी व्यवस्था क्या है? इक्ता प्रणाली UPSC 

Read more– मनसबदारी व्यवस्था की विशेषताएं

प्रबंध व्यवस्था में कमजोरी

औरंगजेब के शासन काल में दमन, अत्याचार, भ्रष्टाचार, लापरवाही आदि अनेक प्रशासनिक समस्याओं ने जन्म ले लिया था। प्रसिद्ध इतिहासकार भीमसेन उस समय के राज्य प्रबन्ध के बारे में लिखते है कि पूरा प्रशासन चौपट हो गया राज्य उजड़ गया है, किसी के साथ इन्साफ नही होता है, वे बुरी तरह बर्बाद हो गए हैं. रैय्यत ने खेती-बाढ़ी छोड़ दी है जमींदारो को अपनी जागीरों से एक टका नहीं मिलता दक्षिण में बहुत से भूख से सताए कंगाल मंसबदार मराठों से मिल गए हैं। 

Read more– मौर्य साम्राज्य का आरंभिक दौर और उसका पतन

Read more– भक्ति आंदोलन का क्या अर्थ है

विदेशी आक्रमण

विदेशी आक्रमण भी मुगल साम्राज्य के पतन का मुख्य कारण रहे। 1739 में नादिरशाह ने भारत पर हमला किया और मुगल शासक मुहम्मद शाह को उपमानजनक संधि मानने के लिए मजबूर किया। मोहम्मद शाह से मजबूर होकर उत्तर-पश्चिम प्रदेश का एक बहुत बड़ा भाग नादिरशाह को दे दिया परंतु नादिरशाह के आक्रमण ने मुगल साम्राज्य की कमजोरी को उजागर कर दिया। जिसका लाभ सूबेदारों, फौजदारों तथा स्थानीय सरदारो ने उठाया । 1761 में अहमदशाह अब्दाली के आक्रमण ने मुगलों की बची कुची प्रतिष्ठा को नष्ट कर दिया।

सामाजिक और आर्थिक कारण

उमरा (कुलीन) वर्ग का सैकट

  1. मुगल उमरा वर्ग में देशी तथा विदेशी दोनो तत्वों का मिश्रण था इसमें इरानी, तुरानी, भारतीय, राजपुत और मराठा आदि शामिल थे।
  2. मुगल उमरा वर्ग मुगल शासन की केन्द्रीकृत शक्ति का आधार स्तम्भ था इस वर्ग ने ही राज्य की उन्नति और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
  3. 17वीं सदी के मध्य में इस वर्ग को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जागीरों की कमी और आर्थिक कठिनाइयों के कारण अमरा वर्ग को क्षेत्रीय रूप धारण करना पड़ा।
  4. इस अमरा वर्ग को सामाजिक सम्मान बनाये रखने के लिए उच्चस्तरीय जीवन को बनायेरखना पड़ता था। लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण ऊँचे जीवन-स्तर को बनाए रखना मुश्किल था । 
  5. उमरा वर्ग ने अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए एक दूसरे के विरुद्ध षडयंत्र छल-कपट का सहारा लेना आरंभ कर दिया इस प्रकार मुगल शासक वर्ग कमजोर होता गया और मुगल साम्राज्य पतन का एक कारण बना।

Read more- चोल सम्राज्य का प्रशासनिक व्यवस्था,चोल साम्राज्य का अंत@2021

भूमि संबंधी संकट

मुगल काल में सैमिक शक्ति और भूमि व्यवस्था के बीच सीधा संबंध था। तथा मुगल शासन कृषि से होने वाली आय पर निर्भर था परंतु कृषि से सम्बन्धित निम्नलिखित समस्याओं ने मुगल प्रशासन के लिए समस्याएं खड़ीकर दी

  1. मनसबदार लगान के रूप में जागीर से आय प्राप्त करते थे जो राज्य द्वारा निश्चित किया जाता था। राज्य किसानों पर केवल इतनी पैदावार छोड़ता था जिससे की वे जीवन की निम्नतम आवश्यकताओं को पूरा कर सकें इसके विपरित मनसबदारों का जीवन सुख व समृद्ध था ।
  2. शाहजहां के शासन काल में भूमि पर लगान उत्पादन का 50 प्रतिशत कर दिया गया और औरंगजेब के समय में भी भूमिलगान में कोई कमी नहीं आयी इसके अलावा बिचौलियों के नियन्त्रण के कारण किसान भुखमरी की स्थिति में आ गए थे।
  3. मुगल काल में जागीरदार शासक द्वारा की गई जागीर का अस्थाई रूप से मालिक होता था और असकी रूचि केवल लगान वसूलने में रहती थी। कृषि या कृषक के सुधार की ओर जागीरदारों का ध्यान नहीं जाता था। जागीदार के इस व्यवहार से जागीर और किसान दानों बर्बाद होने लगे।
  4. मुगलकाल में किसानों की हालत और अधिक बिगड़ने का एक अन्य कारण इजारेदारी व्यवस्था (जागीरों की नीलामी ) थी। जो जागीरदार स्वयं को जागीर का प्रबंध करने में असमर्थ समझते थे। वे अपनी जागीर को ऊँचे दामों पर नीलाम कर देते थे। इस व्यवस्था से कृषक वर्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ
  5. मध्ययुग में किसानों द्वारा अनेक देशों में आंदोलन होने लगे थे। तथा भारत में 17वीं शताब्दी मे किसानों ने मुगल साम्राज्य के विरुद्ध बगावत कर दी। इन विद्रोहों ने मुगल साम्राज्य को जड़ों से ही हिला दिया। 

Conclusion

तो प्रिय पाठक अब आपको इस चीज का ज्ञान हो गया होगा की आखिर किस कारण Mughal samrajya ke patan ke karan क्या है उपरोक्त बातों से पता चलता है कि औरंगजेब के गलत नीतियों के कारण ही Mughal samrajya ke patan ke karan बना है। औरंगजेब के सिवा और भी बहुत से कारण थे जो मुगल साम्राज्य को उसके पतन की ओर ले गया। 

अगर आप के लिए ये लेख उपयोगी साबित हुआ तो आप हमे अपनी राय comments के द्वारा अवश्य दे। अगर आपको किसी और विषय पर जानकारी चाहिए तो आप comments में जरूर बताईये गा इस पोस्ट आगे जरूर share करे

Sharing The Post:

नमस्कार दोस्तों, मैं अमजद अली, Achiverce Information का Author हूँ. Education की बात करूँ तो मैंने Graduate B.A Program Delhi University से किया हूँ और तकनीकी शिक्षा की बात करे तो मैने Information Technology (I.T) Web development का भी ज्ञान लिया है मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है. इसलिए मैने इस Blog को दुसरो को तकनीक और शिक्षा से जुड़े जानकारी देने के लिए बनाया है मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे

1 thought on “Mughal samrajya ke patan ke karan | मुगल साम्राज्य के पतन के कारण”

Leave a Comment