Bio Plastic Kya hai
Bio Plastic Kya hai प्रिय पाठक आज हम बहुत ही महत्वपूर्ण विषय और बहुत ही नवीनतम समस्या से जुड़े विषय के बारे में बताने जा रहा है जो Bio Plastic Kya hai, प्लास्टिक के प्रकार, जैव प्लास्टिक के फायदे और नुकसान आदि इन्हीं सभी सवालों का जवाब इस लेख के द्वारा हमने देने का प्रयास किया है ।
प्लास्टिक क्या है|Plastic Kya hai
प्लास्टिक प्रदूषण हमारे पर्यावरण को तेजी से नुकसान पहुँचा रहा है। अपशिष्ट प्लास्टिक सामग्री को निपटाना मुश्किल है और ये पृथ्वी पर बड़े प्रदूषण में योगदान देता है। वर्तमान में यह वैश्विक चिन्ता का कारण बन गया है। प्लास्टिक की थैलियों, बर्तनों और फर्नीचर के बढ़ते उपयोग से प्लास्टिक कचरे की मात्रा भी बढ़ गई है। अतः अब प्लास्टिक के विकल्प के रूप में जैब प्लास्टिक के उपयोग पर बल दिया जा रहा है।
जैव प्लास्टिक मक्का, गेहूँ या गन्ने के पौधों या पेट्रोलियम के स्थान पर अन्य जैविक सामग्रियों से बने प्लास्टिक को सन्दर्भित करता है। जैब प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल और कम्पोस्टेबल प्लास्टिक सामग्री है। इसे मकई और गन्ने के पौधों से शुगर निकालकर उसे पॉलिलैक्टिक एसिड (PLA) में परिवर्तित करके प्राप्त किया जा सकता है। इसे सूक्ष्म जीवों के पॉलीहाइड्रोक्सीएल्केनोएट्स (PHA) से भी बनाया जा सकता है।
पॉलिलैक्टिक एसिड (PLA) प्लास्टिक का सामान्यतः खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में उपयोग किया जाता है, जबकि पॉलीहाइड्रोक्सीएल्केनोएट्स (PHA) का अकसर चिकित्सा उपकरणों जैसे, टाँके और कार्डियोवैस्कुलर पैच (हृदय सम्बन्धी सर्जरी) में प्रयोग किया जाता हैहै
जैव प्लास्टिक का उपयोग
जैव प्लास्टिक का उपयोग पैकेजिंग, क्रॉकरी, कटलरी बर्तन, कटोरे और स्ट्रा जैसी डिस्पोजेबल वस्तुओं के लिए किया जाता है। जैब प्लास्टिक के लिए कुछ वाणिज्यिक अनुप्रयोग मौजूद हैं। सिद्धान्त रूप से वे पेट्रोलियम व्युत्पन्न प्लास्टिक के लिए कई अनुप्रयोगों को प्रतिस्थापित कर सकते हैं। यद्यपि लागत और प्रदर्शन समस्याग्रस्त रहेगा।
प्लास्टिक के प्रकार (Type of Plastic)
- स्टार्च आधारित प्लास्टिक
- आनुवांशिक रूप से संशोधित जैवप्लास्टिक
- जैव-व्युत्पन्न पॉलीएथीलीन
- पॉलिएमाइड 11 (11 पीए)
- पॉली-3-हाइड्रोक्सिब्यूटाइरेट (पीएचबी)
- पॉलीलैक्टिक एसिड (पीएलए) प्लास्टिक
- सेलूलोज़ आधारित प्लास्टिक
जैव प्लास्टिक, एकल उपयोग प्लास्टिक से बेहतर कैसे ?
- जैव प्लास्टिक या पौधे पर आधारित प्लास्टिक को पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक के विकल्प स्वरूप जलवायु के अनुकूल रूप में प्रचारित किया जाता है।
- प्लास्टिक सामान्यतः पेट्रोलियम से बने होते हैं। जीवाश्म ईंधन की कमी और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं पर उनका प्रभाव पड़ता है।
- एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2050 तक प्लास्टिक वैश्विक कार्बन-डाइऑक्साइड के 15% उत्सर्जन के लिए उत्तरदायी होगा।
- पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक में उपस्थित कार्बन ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है। दूसरी तरफ, जैव प्लास्टिक जलवायु के अनुकूल होता है अर्थात् ऐसा माना जाता है कि जैब प्लास्टिक कार्बन उत्सर्जन में सहयोगी नहीं होता है।
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प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग की समस्या
प्लास्टिक अपने उत्पादन से लेकर उपयोग तक सभी अवस्थाओं में पर्यावरण और समूचे पारिस्थितिकी तन्त्र के लिए घातक होता है। प्लास्टिक का निर्माण पेट्रोलियम पदार्थों से प्राप्त तत्त्वों और रसायनों से होता है, इसलिए यह अपने उत्पादन की अवस्था से लेकर प्रयोग के दौरान और कचरे के रूप में फेंके जाने तक कई तरह की रासायनिक क्रियाएँ करके विषैला प्रभाव उत्पन्न करता है, जो मनुष्यों से लेकर जीव-जन्तुओं तक के लिए घातक होता है।
प्लास्टिक कचरे का मात्र 15% ही धरती की सतह पर शेष रह पाता है और बाकी सारा कचरा समुद्र में जाकर जमा हो जाता है। इसे खाने से न केबल समुद्री जीव-जन्तु मर रहे हैं, बल्कि यह समुद्री नमक में भी विष घोल रहा है।
आशंका जताई जा रही है कि वर्ष 2050 तक समुद्र में 850 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा जमा हो जाएगा। वर्ष 2050 तक सभी समुद्र और महासागरों में मौजूद मछलियों का लगभग 821 मिलियन मीट्रिक टन ही रह जाएगा अर्थात् हम ऐसे प्लास्टिकमय भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं, जहाँ हम धरती में बिखरे प्लास्टिक के ढेर में दफन हो जाएँगे।
जैव प्लास्टिक के मुख्य लाभ
- इससे कार्बन फुटप्रिण्ट में कमी आएगी।
- इससे गैर-नवीकरणीय कच्चे माल की खपत घटेगी।
- इससे गैर जैब-अपघटनीय कचरे (Non bio-degradable Waste) में कमी आएगी।
- इससे पर्यावरण प्लास्टिक की तुलना में काफी कम प्रदूषित होता है।
- इसके उत्पादन से बिजली की बचत होगी।
- इसमें पैलेट्स अथवा बिसफेनोल ए जैसे हानिकारक तत्त्वों का प्रयोग नहीं होता है।
- जैव प्लास्टिक में खाद्य सामग्री जल्दी खराब नहीं होती है।
जैव प्लास्टिक से हानि
- जैव प्लास्टिक के उपयोग में वृद्धि वैश्विक स्तर पर कृषि उपयोग हेतु भूमि के विस्तार को बढ़ावा दे सकती है, जो जीन हाउस गैस उत्सर्जन को और बढ़ाएगा।
- बृहद् मात्रा में जैब प्लास्टिक का उत्पादन विश्व स्तर पर भूमि उपयोग को बदल सकता है। इससे चन क्षेत्रों की भूमि कृषि योग्य भूमि में बदल सकती है और इसकी गलत कृषि पद्धति पर्यावरणीय असन्तुलन को बढ़ावा दे सकती है।
- मकई जैसे खायान्नों का उपयोग भोजन के स्थान पर प्लास्टिक के उत्पादन के लिए करना, खाद्यान्न की कमी का कारण बन सकता है।
- जैव प्लास्टिक को तोड़ने हेतु इसे उच्च तापमान तक गर्म करने की आवश्यकता होती है। तीव्र ऊष्मा के बिना जैव प्लास्टिक से लैण्डफिल या कम्पोस्ट का क्षरण सम्भव नहीं होगा। यदि इसे समुद्री वातावरण में निस्सारित करते हैं, तो यह पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक के समान ही हानिकारक सिद्ध होगा।
प्लास्टिक समस्या के समाधान के प्रयास
जहाँ तक प्लास्टिक प्रदूषण की बात है, तो वह अब बड़ा रूप धारण कर चुका है। अतः स्पष्ट होता है कि प्रतिवर्ष हम जितना प्लास्टिक फेंक देते हैं, उससे पूरी पृथ्वी को कई बार घेरा जा सकता है। इस गम्भीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लोगों से प्लास्टिक प्रदूषण रोकने की अपील कर चुके हैं। प्रधानमन्त्री मोदी को पर्यावरण के लिए किए गए विभिन्न कार्यों हेतु 73वें यूएन जनरल असेम्बली ने चैम्पियन्स ऑफ द अर्थ का अवार्ड भी दिया है। प्लास्टिक समस्या के समाधान के कार्यों में वर्ष 2022 तक भारत में ऑल सिंगल यूज प्लास्टिक को हटाने की प्रतिज्ञा भी शामिल है।
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भारत सरकार के प्रयास
- भारत के प्लास्टिक बेस्ट मैनेजमेण्ट रूल्स 2016, 50 माइक्रोन की मोटाई से कम वाले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबन्ध लगाता है और 2 सालों के अन्दर नॉन-रिसाइकिलेबल एवं मल्टी लेयर्ड प्लास्टिक के निर्माण और बिक्री को चरणबद्ध तरीके से हटाने का निर्देश देता है।
- पर्यावरण मन्त्रालय ने प्लास्टिक बेस्ट मैनेजमेण्ट रूल्स (संशोधन) 2018 में भी अधिसूचित किया है, जिसके अनुसार वैसे बहु-परतीय प्लास्टिक जिनकी रिसाइक्लिंग नहीं हो सकती, उन्हें चरणबद्ध तरीके से बाहर करना शामिल है। इस संशोधन में उत्पादक और निर्यातकों के लिए एक सेण्ट्रल रजिस्ट्रेशन सिस्टम बनाने का भी निर्देश दिया गया है।
- केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेण्ट रूल्स, 2016 के अनुसार, सूखे कचरे यानि प्लास्टिक, पेपर, धातु, सीसा और गीले यानी रसोई और बगीचे के कचरे को उनके स्रोत पर ही अलग करना होगा।
- लगभग 20 से अधिक भारतीय राज्यों ने प्लास्टिक को किसी न किसी प्रकार से तथा प्लास्टिक के विभिन्न रूपों को प्रतिबन्धित किया हुआ है।
- सरकार द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण के बढ़ते दुष्प्रभाव को देखते हुए 2 अक्टूबर, 2019 से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगाने का फैसला किया गया, किन्तु अब इसे आगे बढ़ाकर वर्ष 2022 कर दिया गया है।
- प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने हेतु दिल्ली में ‘बीट प्लास्टिक प्रदूषण के नाम से एक अभियान चलाया जा रहा है।
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अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास
- वर्ष 2018 में नैरोबी में यूनाइटेड नेशन्स एन्वायरमेण्ट असेम्बली में 200 से अधिक देशों ने समुद्रों से प्लास्टिक प्रदूषण को हटाने के लिए एक संकल्प पारित किया। यद्यपि यह कानूनी रूप से बाध्यकारी सन्धि नहीं है, लेकिन आगे का रास्ता तय करने में सहायक सिद्ध होगा।
- यह संकल्प संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम में की गई घोषणा का एक भाग है, जो कचरे में कमी लाने, प्रदूषण के खिलाफ कड़े नियम बनाने और धारणीय जीवन-शैली के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन देने की बात करता है।
- यू एन सस्टेनेबल डेवलपमेण्ट गोल्स में भी सभी प्रकार के समुद्री प्रदूषणों में कमी लाने और उसे रोकने की बात कही गई है। एक और रोचक बात यह है कि विश्व पर्यावरण दिवस 2018 की थीम “बीट प्लास्टिक पोल्यूशन रखी गई थी, जिसकी मेजबानी भारत ने ही की थी। इसका उद्देश्य नॉन बायोडिग्रेडेबल बेस्ट के डिस्पोजल से पैदा हुई स्वास्थ्य सम्बन्धी चुनौतियाँ और पर्यावरण के सम्बन्ध में जागरूकता पैदा करना था।
- इसके अतिरिक्त विश्वभर में समुद्र तटों से प्लास्टिकों को हटाने के लिए गैर लाभकारी संगठन द ऑशन क्लीन अप आधुनिक तरीकों का विकास कर रहा है।
- यूरोपीय संघ ने वर्ष 2021 तक एकल उपयोग बाली प्लास्टिक की वस्तुओं जैसे- काँटे, चाकू और कपास की कलियों (Cotton Birds) आदि पर प्रतिबन्ध लगाने की योजना बनाई है।
- चीन के हैनान प्रांत ने वर्ष 2025 तक एक उपयोग वाले प्लास्टिक को पूर्णतः समाप्त करने की योजना बनाई है।
- इसके साथ-साथ कुछ समय पहले चिली, ओमान, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका ने भी ‘क्लीन सीज कैम्पेन’ नामक एक अभियान शुरू किया है।
- फ्रांस में वर्ष 2016 में प्लास्टिक पर बैन लगाने के लिए एक कानून पारित किया गया था। इसके तहत प्लास्टिक की प्लेटे, कप और सभी तरह के बर्तनों को वर्ष 2020 तक प्रतिबन्धित कर दिया जाएगा।
- G-20 (2019) की बैठक में पर्यावरण मन्त्रियों के समूह ने वैश्विक स्तर पर समुद्री प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए एक नया कार्यान्वयन ढाँचा अपनाने पर सहमति व्यक्त की है।
Conclusion
Bio Plastic Kya hai|प्लास्टिक क्या है? निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि यद्यपि प्लास्टिक का मानव जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है, किन्तु इससे पर्यावरण को होने वाली हानि को देखते हुए जल्द ही इसका विकल्प तलाशना होगा। यद्यपि जैव प्लास्टिक को इसका विकल्प माना जा रहा है, किन्तु यह भी पूर्णतया ‘पर्यावरण मित्र’ प्लास्टिक नहीं है। इससे भी पर्यावरण को हानि पहुँचती है। अत: वैश्विक स्तर पर पर्यावरण को बचाने हेतु पर्यावरण हितैषी’ विकल्प तलाशने एवं अमल करने के बाध्यकारी उपायों की आवश्यकता है।