निबंध कैसे लिखें। How to write essay। Nibandh kaise likhen

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 nibandh kaise likhen तो इस पोस्ट में आपको बताने जा रहे निबंध कैसे लिखें। how to write essay, Essay writing Topics,निबन्ध की परिभाषा। definition of essay,निबन्ध-लेखन का महत्व importance of essay writing, आदि विषय पर हमने इस पोस्ट में जानकारी देने का प्रयास किया है।  

निबंध कैसे लिखें। how to write essay

निबंध nibandh एक ऐसा महत्त्वपूर्ण Topic जो आपको  हर किसी परीक्षा में मिलता ही है चाहे वो स्कूल परीक्षा हो या का कोई प्रतियोगिता स्तर परीक्षा में हो जैसे, UPSC, SSC, आदि में लिखने को आता है।

इसलिए हमने इस लेख के द्वारा यह बताने का प्रयास किया है कि आपको परीक्षा में nibandh kaise likhen,निबंध लिखते समय किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिए और कौन कौन सी सावधानिया रखनी चाहिए। 

 साहित्य, ‘गद्य’ एवं ‘पद्य दो रूपों में लिखा जाता है। पद्य में छन्द, लय, अलंकार, रसविधान इत्यादि का ध्यान रखना पड़ता है, जबकि गद्य साहित्य का वह रूप है जिसमें इन नियमों के आधार पर लेखन की बाध्यता नहीं होती, बल्कि इसमें तथ्यों एवं विचारों को बोलचाल की भाषा में प्रस्तुत किया जाता है। 

निबन्ध इसी गद्य साहित्य की एक विधा है। कहानी, नाटक, उपन्यास, आत्मकथा, जीवनी, संस्मरण, रिपोर्ट इत्यादि गद्य के अन्तर्गत आने वाली लेखन की अन्य विधाएँ हैं, जिनमें कथावस्तु की प्रधानता होती है जबकि निबन्ध में कथावस्तु की नहीं बल्कि विषयवस्तु की भी प्रधानता होती है।essay writing topics 

निबंध के विषय में लिखने का अभिप्राय न तो इसकी परिभाषा बतानी है, न इसका इतिहास बताना है और न ही इसकी शब्द-निष्पत्ति को विश्लेषित करना ही है, अपितु इसके विस्तृत क्षेत्र को उल्लेखित करना है। निबंध तो अपने खुलेपन के कारण किसी भी परिभाषा से परे है। वस्तुतः यदि देखा जाए तो परिभाषा किसी भी विधा को शासित और नियंत्रित नहीं करती। निबंध अपनी स्वच्छंद प्रवृत्ति के कारण अनेक दिशाओं में व्याप्त है। यह एक समृद्ध साहित्यिक विधा है और सम्प्रेषण का उत्कृष्ट साधन भी।

निबन्ध की परिभाषा। definition of essay

निबन्ध नि’ और ‘बन्ध’ दो शब्दों के मेल से बना है, जिसका तात्पर्य है-नियमों से बँधी हुई गद्य रचना या लेख। हिन्दी के शब्द ‘निबन्ध’ को अंग्रेजी के ‘Essay’ का पर्याय माना जाता है। अंग्रेजी के ‘Essay’ शब्द का अर्थ होता है विषय विशेष पर एक छोटा लेख, किन्तु यह जरूरी नहीं कि किसी विषय पर लिखा गया कोई निबन्ध छोटा ही हो। यह अति विस्तृत भी हो सकता है।

यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि ऐसी विस्तृत गद्य रचना जो सारगर्भित न हो एवं जिसमें विचारों को क्रमबद्ध रूप से प्रकट न किया गया हो तथा जो बीच-बीच में अपनी विषयवस्तु से भटक गई हो, उसे निबन्ध की संज्ञा नहीं दी जा सकती। एक सामान्य निबन्ध में शब्दों की संख्या 500 से 1000 तक हो सकती है 1000 से 3000 शब्दों वाले निबन्ध ‘दीर्घ निबन्ध’ कहलाते हैं।

कुछ विद्वानों ने निबन्ध शब्द की व्याख्या इस प्रकार की है-“सभी प्रकार के बन्धनों से मुक्त रचना निबन्ध है।” जबकि उनकी यह व्याख्या प्रत्येक स्थिति में सार्थक नहीं कहीं जा सकती। यह विचारों की स्वतन्त्रता तक तो ठीक है, किन्तु इन विचारों की प्रस्तुति यदि क्रमबद्ध व प्रभावशाली ढंग से न की गई हो, तो निबन्ध पाठक पर अपना पूर्ण प्रभाव नहीं डाल पाता।

अतः सार्थकता एवं प्रभावोत्पादकता की दृष्टि से गद्य के रूप में विचारों की क्रमबद्ध एवं सार्थक प्रस्तुति को ही निबन्ध की संज्ञा दी जा सकती है। इस प्रकार किसी भी विषय पर लिखी गई वह रचना, जिसमें विषयवस्तु से सम्बन्धित विचारों को क्रमबद्ध रूप में इस तरह प्रकट किया गया हो, जिससे उस विषयवस्तु की विस्तृत अथवा सारगर्मित जानकारी मिलती हो, निबन्ध कहलाती है।

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निबन्ध-लेखन का महत्त्व। importance of essay writing

मनुष्य अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए भाषा के मौखिक अथवा लिखित रूप का सहारा लेता है। विचारों को बोलकर व्यक्त करने को मौखिक अभिव्यक्ति कौशल एवं इन्हें लिखकर व्यक्त करने को लेखन कौशल कहा जाता है। इन्हीं अभिव्यक्ति कौशलों से मनुष्य के व्यक्तित्व की परीक्षा होती है। 

यह आवश्यक नहीं कि जो व्यक्ति मौखिक अभिव्यक्ति कौशल में माहिर हो, जैसा कि एक वक्ता होता है, वह किसी लेखक की तरह लेखन-कौशल में भी माहिर हो इसी तरह, एक अच्छा लेखक अच्छा वक्ता हो, यह भी आवश्यक नहीं, किन्तु सामान्य रूप से एक शिक्षित मनुष्य से यह आशा अवश्य की जा सकती है कि वह भले ही एक अच्छा वक्ता एवं लेखक न हो, पर मौखिक ही नहीं, लिखित रूप में भी अपने विचारों को भली-भाँति अवश्य अभिव्यक्त कर सकेगा।

किसी व्यक्ति के लेखन कौशल की जांच के लिए सामान्यतः पत्र लेखन एवं निबन्ध-लेखन का ही सहारा लिया जाता है। पत्र लेखन से किसी विषय पर व्यक्ति की सोच की पूरी जाँच सम्भव नहीं है, जबकि निबन्ध-लेखन द्वारा न केवल व्यक्ति के ज्ञान, अनुभव, सोच एवं भावना का पता लगाया जाता है, बल्कि साथ-ही-साथ उसके लेखन-कौशल की परीक्षा भी हो जाती है। 

इस तरह निबन्ध के माध्यम से काफी हद तक किसी के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जा सकता है। इसलिए निबन्ध को व्यक्ति की सोच व व्यक्तित्व का आईना भी कहा जाता है। इन सबके अतिरिक्त प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ-साथ अकादमिक परीक्षाओं में भी बेहतर सफलता के दृष्टिकोण से निबन्ध-लेखन अति महत्त्वपूर्ण है। इसके नियमित अभ्यास से व्यक्ति में अपने विचारों को क्रमबद्ध रूप में प्रकट करने की क्षमता विकसित होती है।

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निबन्ध के अंग। parts of nibandh

सामान्यतः निबन्ध के तीन भाग या अंग होते हैं- 

  1. परिचय इस भाग में निबन्ध की विषयवस्तु का परिचय दिया जाता है, जिससे पाठक को निबन्ध के अगले भागों को समझने में आसानी होती है।
  2. मध्य भाग इसे निबन्ध का शरीर अथवा मूल भाग कहते हैं। विषयवस्तु का विस्तृत वर्णन इसी भाग में किया जाता है। अतः इसे विषय प्रसार भी कहा जाता है। यह निबन्ध का सर्वाधिक विस्तृत भाग होता है।
  3. उपसंहार यह निबन्ध का अन्तिम भाग होता है, जिसमें इसका सार होता है।निबन्ध के प्रकार रूप, शैली एवं विषयवस्तु के आधार पर निबन्ध कई प्रकार के होते हैं

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निबन्ध के प्रकार। type of nibandh

वर्णनात्मक निबन्ध

वर्णनात्मक निबन्ध इसमें विषयवस्तु का सामान्य वर्णन होता है। इसी प्रकार के निबन्ध लेखन के दृष्टिकोण से सरल होते हैं। पर्व-त्योहार, स्थान, व्यक्ति विशेष, ऋतु- विशेष इत्यादि पर आधारित निबन्ध इसी श्रेणी में आते हैं।

वर्णनात्मक निबन्ध

विश्लेषणात्मक निबन्ध ऐसे निबन्धों में विषयवस्तु का विश्लेषणात्मक विवरण होता है। इन्हें विवरणात्मक निबन्ध भी कहा जाता है। इनमें तथ्यों के आधार पर विश्लेषण के माध्यम से ज्ञानवर्द्धन पर जोर दिया जाता है। अर्थव्यवस्था एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध जैसे विषयों पर आधारित निबन्ध इसी श्रेणी में आते हैं।

विचारात्मक निबन्ध

विचारात्मक निबन्ध ऐसे निबन्धों में विषयवस्तु के पक्ष-विपक्ष, नकारात्मक-सकारात्मक, लाभ-हानि इत्यादि का वर्णन होता है। आतंकवाद, नक्सलवाद, गरीबी एवं अन्य विवादास्पद विषयों पर आधारित निबन्ध इसी श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। किसी साहित्यिक रचना पर समीक्षात्मक निबन्ध भी विचारात्मक निबन्ध के ही अन्तर्गत आते हैं। यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि किसी रचना की समीक्षा को समीक्षात्मक निबन्ध की संज्ञा नहीं दी जा सकती।

भावनात्मक निबन्ध

भावनात्मक निबन्ध किसी सूक्ति, कथन, विचार आदि विषयवस्तुओं पर लिखे गए निबन्ध भावनात्मक निबन्ध के अन्तर्गत आते हैं। उदाहरणस्वरूप ‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहिं’, ‘परहित सरसि धरम नहीं भाई’ अथवा ऐसी अन्य सूक्तियों पर लिखे गए निबन्ध इन्हें चिन्तन प्रधान निबन्ध भी कहा जाता है, क्योंकि लेखक अपने ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर विषयवस्तु के बारे में चिन्तन कर अपने विचारों को निबन्ध का रूप देता है। 

यदि आप प्रधानमन्त्री होते तो क्या करते’ जैसे कल्पना प्रधान निबन्ध भी भावनात्मक निबन्ध की श्रेणी में आते हैं।ललित निबन्ध कुछ निबन्ध भाषा-शैली, वाक्य रचना, अलंकार, मुहावरे इत्यादि के प्रयोग द्वारा इस तरह लिखे जाते हैं कि इनकी पठनीयता एवं प्रभावोत्पादकता ही नहीं, बल्कि भाषा-सौन्दर्य भी पाठक को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त होते हैं, ऐसे निबन्ध को ललित निबन्ध कहा जाता है।

वर्णनात्मक, विश्लेषणात्मक विचारात्मक एवं भावनात्मक इन सभी प्रकार के निबन्धों को ललित निबन्ध के रूप में लिखा जा सकता है, यदि लेखक का भाषा एवं रचनात्मक लेखन पर पर्याप्त अधिकार हो।

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सुसंगठित’ निबन्ध की रचना कैसे करें ?

निबन्ध-लेखन एक कला है। किसी अन्य कला में प्रवीण होने के लिए जिस तरह निरन्तर अभ्यास की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह विभिन्न विषयों पर अपने विचारों को लिखित रूप में अभिव्यक्ति के निरन्तर अभ्यास द्वारा ही कोई अच्छा निबन्धकार बन सकता है।

सुसंगठित’ निबन्ध की विशेषताएँ

  1. निबन्ध को सुसंगठित निबन्ध तब तक नहीं कहा जा सकता, जब तक कि वह प्रभावोत्पादकता एवं सार्थकता की शर्तों को भली-भाँति पूरा न करता हो। इस दृष्टिकोण से एक श्रेष्ठ निबन्ध की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं
  2. व्याकरण- सम्मत स्पष्ट भाषा सुसंगठित निबन्ध की भाषा व्याकरण-सम्मत एवं स्पष्ट तथा वाक्य-रचना गठन की दृष्टि से शुद्ध होनी चाहिए।
  3. विषयानुकूल भाषा निबन्ध की भाषा व्याकरण-सम्मत एवं स्पष्ट तो हो किन्तु वह विषयानुकूल न हो तो भी निबन्ध पाठक पर अच्छा प्रभाव नहीं डाल पाता।
  4. विचारों में क्रमबद्धता एक ‘सुसंगठित’ निबन्ध में विचारों में क्रमबद्धता होती है और यही क्रमबद्धता किसी भी निबन्ध को प्रभावी बनाती है।
  5. विचारों में सम्बद्धता निबन्ध में विचारों में क्रमबद्धता के साथ-साथ उनमें सम्बद्धता भी आवश्यक है। विचारों का बिखराव निबन्ध की महत्ता को कम करता है।
  6. विषय- केन्द्रित निबन्ध को हर हाल में विषय केन्द्रित होना चाहिए। विषय से भटकाव किसी भी निबन्ध का सबसे बड़ा दोष माना जाता है।
  7. सारगर्भित निबन्ध जितना सारगर्भित होगा, पाठक पर उसका प्रभाव उतना ही अधिक पड़ेगा। विषय के अनावश्यक विस्तार से निबन्ध न केवल बोझिल हो जाता है, बल्कि उसकी पठनीयता भी कम हो जाती है। उद्धरणों, काव्य पंक्तियों तथा सूक्तियों का प्रयोग निबन्ध में प्रयुक्त विचारों के समर्थन में कवियों, लेखकों एवं महापुरुषों के कथनों, उद्धरणों एवं काव्य पंक्तियों के साथ-साथ सूक्तियों के प्रयोग से न सिर्फ इसकी सटीकता, बल्कि इसकी पठनीयता भी बढ़ती है।

‘सुसंगठित’ निबन्ध कैसे लिखें?

निबन्ध-लेखन यदि आसान नहीं है, तो कठिन भी नहीं है। थोड़े से अतिरिक्त अभ्यास से इसमें कुशलता प्राप्त की जा सकती है। अपने विचारों को लिखित रूप में अभिव्यक्त कर सकने वाला कोई भी व्यक्ति निम्नलिखित बातों का पालन कर आसानी से किसी भी विषय पर निबन्ध लिख सकने में सक्षम हो सकता है।

किसी विषय पर भी निबन्ध लिखने के लिए सबसे पहले अपने ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर उसके बारे में सोचें। उसके बाद उस विषयवस्तु से सम्बन्धित मस्तिष्क में आए विचारों को सही क्रम दें।

निबन्ध का प्रारम्भ हमेशा विषयवस्तु के परिचय से करें।

परिचय के बाद निबन्ध के मध्य भाग को लिखें, इसमें विषयवस्तु को अनावश्यक विस्तार न दें।

उपसंहार में सारांश के साथ निबन्ध को समाप्त करें।

निष्कर्ष या उपसंहार

अभ्यर्थी यह ध्यान रखे कि यदि वह सही निष्कर्ष नहीं लिख पाता और परीक्षक पर अंत तक सकारात्मक प्रभाव बनाए नहीं रख पाता तो अच्छे अंक प्राप्ति की संभावना क्षीण हो जाती है। वस्तुतः अभ्यर्थी को इसे समुचित महत्व देना चाहिए। अभ्यर्थी ने चाहे भूमिका या विषय विवेचन कितना अच्छा किया हो पर निष्कर्ष की गुणवत्ता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसकी किसी भी परिस्थिति में अवहेलना नहीं की जा सकती।

 निष्कर्ष में अभ्यर्थी द्वारा उपरिलिखित बातों को संक्षिप्त रूप से लिखा जाता है। ध्यातव्य है कि निष्कर्ष में विचारों को दोहराया जाता है, शब्दों को नहीं। निष्कर्ष ऐसा होना चाहिए कि परीक्षक को यह अनुभूति हो कि इस विषय पर इससे अधिक नहीं लिखा जा सकता। निबंध की समाप्ति किसी ऐसे सूत्रवाक्य, उद्धरण या काव्य-पंक्तियों से की जा सकती है जो निबंध में प्रस्तुत विचारों का सटीक पोषण करने के साथ-साथ निबंध के सौदर्य में भी वृद्धि करें।

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निबन्ध-लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें। Things to keep in mind while writing an essay

  1. एक कुशल निबन्ध-लेखक को निबन्ध लिखते समय निम्नलिखित बातें याद रखनी चाहिए निबन्ध उसी विषय पर लिखना अधिक अच्छा होता है, जिसकी अच्छी जानकारी हो।
  2. किसी निबन्ध का प्रारम्भ विषयवस्तु के परिचय से करना चाहिए। उसके बाद उसका आवश्यकतानुसार वर्णन कर अन्त में उपसंहार लिखना चाहिए। 
  3. वर्तनी की दृष्टि से शुद्ध शब्दों का प्रयोग करना चाहिए तथा इनकी अनावश्यक आवृत्ति से बचना चाहिए। 
  4. वाक्य-विन्यास ठीक रखते हुए विराम-चिन्हों का उचित प्रयोग करना चाहिए। व्याकरण-सम्मत स्पष्ट भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
  5. निबन्ध की भाषा-शैली सीधी, सरल, सुबोध तथा विषय के अनुकूल रखनी चाहिए।लम्बे-लम्बे क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से यथासम्भव बचना चाहिए, क्योंकि इनसे भाषा प्रवाह में बाधा पहुँचती है और निबन्ध अस्वाभाविक लगने लगता है। 
  6. निबन्ध का आकार न बहुत छोटा और न ही बहुत लम्बा होना चाहिए। 
  7. सभी विचारों को पूर्णता के साथ स्पष्ट रूप से व्यक्त करना चाहिए।
  8. मध्य भाग लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि एक अनुच्छेद में एक ही भाव हो। विभिन्न अनुच्छेदों को भी विचारों की भाँति सही क्रम में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
  9. विषयवस्तु का वास्तविक प्रसार मध्य भाग में ही करना चाहिए।
  10. निबन्ध का सारांश उपसंहार में ही लिखना चाहिए तथा इसमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अन्तिम वाक्य के साथ निबन्ध की पूर्णता का आभास हो
  11. विचारों में क्रमबद्धता रखनी चाहिए। जैसे किसी महापुरुष पर निबन्ध को यदि उनकी मृत्यु से शुरू किया जाए, तो इसे कभी अच्छा नहीं कहा जा सकता। उनका परिचय, उनका प्रारम्भिक जीवन, उनके कार्य, उनका योगदान इत्यादि के वर्णन के बाद यदि हम उनकी मृत्यु के बारे में बताएँ तो इसमें विचारों में क्रमबद्धता स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है।
  12. विचारों में क्रमबद्धता लाने के लिए वाक्यों का एक-दूसरे से जुड़ा होना भी आवश्यक है, इससे विषयवस्तु का वर्णन अधिक स्पष्ट हो जाता है।
  13. क्रमबद्धता के साथ-साथ विचारों में सम्बद्धता का भी ध्यान रखना अनिवार्य है।
  14.  विषयान्तर निबन्ध का सबसे बड़ा दोष माना जाता है। अतः निबन्ध लिखते समय सदा विषय केन्द्रित रहना चाहिए। 
  15. कोई निबन्ध जितना सारगर्भित हो पाठक पर उसका प्रभाव उतना ही अधिक पड़ता है। विषय के अनावश्यक विस्तार से निबन्ध न केवल बोझिल हो जाता है, बल्कि पाठक की रुचि भी इसमें कम हो जाती है।

Conclusion

nibandh kaise likhen तो प्रिय पाठक अब आपको इस चीज का ज्ञान हो गया होगा की  निबंध कैसे लिखें। how to write essayEssay writing Topics, निबन्ध की परिभाषा। definition of essay, निबन्ध-लेखन का महत्त्व। importance of essay writing, निबन्ध के अंग। parts of essay, निबन्ध-लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य बातों, के बारे में जानकारी मिली है। अगर आपको किसी प्रकार से इस लेख में कोई गलती हो तो हमें अवश्य बताए।

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नमस्कार दोस्तों, मैं अमजद अली, Achiverce Information का Author हूँ. Education की बात करूँ तो मैंने Graduate B.A Program Delhi University से किया हूँ और तकनीकी शिक्षा की बात करे तो मैने Information Technology (I.T) Web development का भी ज्ञान लिया है मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है. इसलिए मैने इस Blog को दुसरो को तकनीक और शिक्षा से जुड़े जानकारी देने के लिए बनाया है मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे

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