न्यू इण्डिया-2022 New India (2022) Essay
यह साल भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस नीति आयोग ने न्यू इण्डिया 2022 का विकास एजेण्डा लेकर आ रहा है।
मिशन न्यू इण्डिया 2022 अथवा अभिनव भारत, भारत सरकार का महत्त्वाकांक्षी व दूरदर्शी लक्ष्य है, जिसमें एक ऐसे भारत की संकल्पना की गई है, जो समस्याबिहीन व सम्पूर्ण खुशहाली से परिपूर्ण हो। अभिनव भारत की घोषणा वर्ष 2017 में भारत सरकार ने की, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2022 तक अभिनव भारत की स्थापना की जाएगी। वर्ष 2022 भारत छोड़ो आन्दोलन की 75वीं वर्षगाँठ (आजादी का अमृत महोत्सव 2022 ) मनाया जा रहा है ऐसे में यह वर्ष ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण है। यद्यपि अभिनव भारत का उद्देश्य आदर्शवादी व गौरवमयी प्रतीत होता है, परन्तु इस लक्ष्य को पाने में चुनौतियाँ भी काफी हैं, जिसे नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता है।
मिशन न्यू इण्डिया-2022 कांसेप्ट
न्यू इण्डिया की संकल्पना में ऐसे भारत की कल्पना की गई है, जिसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि, समस्या आदि नहीं होगी तथा सभी व्यक्ति गौरवपूर्ण जीवन व्यतीत करेंगे। इसमें लोगों के लिए एलपीजी, बिजली, इण्टरनेट, स्वच्छ पेयजल, शौचालययुक्त घर आदि शामिल होंगे। सभी लोग उच्च व पूर्ण शिक्षित होंगे। आधुनिक आधारभूत संरचना का नेटवर्क हमारे यहाँ होगा। साथ ही हमारा समाज गरीबी, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार से मुक्त होगा व उत्तम स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध होगी।
भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू ने भी अपने प्रसिद्ध भाषण ‘ट्रस्ट विद डेस्टिनी’ में संकल्प लिया था कि देश से गरीबी, बेरोजगारी, रूढ़िवादिता आदि को मिटाना है, साथ ही सभी को स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और पेयजल जैसी जीवन की मूलभूत आवश्यकता उपलब्ध कराई जाएगी। आज तक यह संकल्प शत-प्रतिशत पूर्ण नहीं हुआ है,
न्यू इण्डिया-2022 की चुनौतियाँ
न्यू इण्डिया को मूर्त रूप देने के लिए विकास दर काफी ऊंची करनी होगी और उसके लिए अर्थव्यवस्था का विस्तार करना होगा, लेकिन वर्तमान में यह एक बहुत बड़ी चुनौती है, क्योंकि वर्ष 2007-08 की वैश्विक आर्थिक मन्दी के बाद से ही विश्व में संरक्षणबाद की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इस सन्दर्भ में ब्रेक्जिट के माध्यम से ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से अलग होना तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का उदाहरण दिया जा सकता है। इसके साथ ही अमेरिका-चीन में उत्पन्न ट्रेंड वार तथा भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रतिकूल स्थिति प्रमुख है। हमने आज तक समावेशी विकास को प्राप्त नहीं किया है। आज भी भारत के 10% लोगों के पास 90% सम्पत्ति है, जो घोर असमानता का प्रतीक है। इस प्रकार, ऊँची विकास दर को प्राप्त करना अपने आप में बड़ी चुनौती है, फिर कोरोना महामारी ने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है।
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दूसरी प्रमुख चुनौती मानव संसाधन के उचित प्रयोग की है। वस्तुतः हम आज तक जनांकिकीय लाभांश का लाभ नहीं उठा पाए हैं। 135 करोड़ की आबादी (वर्ष 2019) में 62% आबादी 59 वर्ष से कम आयु की है अर्थात् ये लोग कार्यबल में शामिल हैं, लेकिन इनका कौशल विकास करना अपने आप में चुनौती है। वस्तुस्थिति यह है कि कार्यबल के 50% लोग कृषि क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी के रूप में अपनी ऊर्जा नष्ट कर रहे हैं। डिग्रीधारक युवा चतुर्थ वर्ग की नौकरी तक के लिए परेशान हैं। सभी लोगों को रोजगार देना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। अत: न्यू इण्डिया को मूर्त रूप देना बहुत ही कठिन प्रतीत होता है।
न्यू इण्डिया के निर्माण में महिलाओं का योगदान अनिवार्य है, लेकिन भारत में महिलाओं की स्थिति आज भीअपेक्षाकृत दयनीय है। भारतीय समाज पितृसत्तात्मक समाज है, जहाँ पर महिलाओं को पूर्ण आजादी नहीं मिलती है। महिला शोषण, अत्याचार, आय में असमानता, लैंगिक असमानता आदि ऐसे अनेक मुद्दे आज भी हमारे राष्ट्र के समक्ष उपस्थित हैं, जबकि न्यू इण्डिया का निर्माण तभी हो सकता है, जब आधी आबादी अर्थात् महिलाओं का भी पूर्ण सहयोग रहे।
न्यू इण्डिया की संकल्पना में जहाँ एक तरफ पर्यावरण हितैषी व प्रदूषण मुक्त शहरों की कल्पना की गई है, वहीं नीति आयोग ने अपने न्यू इण्डिया विजन में प्रत्येक व्यक्ति के पास दोपहिया, चार पहिया वाहन की बात कही है, जोकि पर्यावरण प्रदूषण के महत्त्वपूर्ण कारण हैं। इस सन्दर्भ में न्यू इण्डिया की संकल्पना व नीति आयोग का विजन अपने आप में विरोधाभास है।
ऊर्जा किसी भी देश के विकास का महत्त्वपूर्ण ईंधन होता है, लेकिन वर्तमान में भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकता का 80% आयात करता है, जिस कारण अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना एवं विकास परियोजनाओं पर ध्यान नहीं दे पाता है। इस प्रकार ऊर्जा में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना एक प्रमुख चुनौती है।
न्यू इण्डिया के निर्माण में गिरता लिंगानुपात, उच्च शिशु व मृत्यु दर निम्न गुणवत्ता की शिक्षा व निम्न स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएँ इत्यादि बाधक हैं। इसके अतिरिक्त कोरोना बायरस महामारी के प्रकोप से पूरी दुनिया परेशान है, इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुँचाया है। देश की आर्थिक विकास दर लगभग नकारात्मक तक पहुँच गई है तथा बेरोजगारी भयंकर रूप से बढ़ गई है।
न्यू इण्डिया की संकल्पना को मूर्त रूप देने में अलगाववाद, आवाद, आतंकवाद, नक्सलवाद, साम्प्रदायिकता, माँब लिंचिंग, क्षेत्रीय असमानता, किसानों की आत्महत्या इत्यादि अनगिनत ऐसी समस्याएँ हैं, जो बाधा उत्पन्न करती हैं। इसके बावजूद भारत में कई सम्भावनाएँ मौजूद हैं।
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न्यू इण्डिया-2022 सम्भावनाएँ
चुनौतियों के साथ सम्भावनाएँ भी मौजूद होती हैं। आज भारत की स्थिति काफी बदल चुकी है। हम प्रतिकूल परिस्थिति में सीमित संसाधन रहते हुए विकास के मार्ग पर निरन्तर बढ़ रहे हैं और आज विश्व के प्रमुख राष्ट्रों की श्रेणी के में शामिल हैं। आज हमारे साथ काफी सकारात्मक परिस्थितियाँ हैं, जिससे न्यू इण्डिया की संकल्पना को मूर्त रूप दिया जा सकता है। प्रमुख सम्भावनाएँ निम्नलिखित हैं
प्रसिद्ध चिन्तक मार्क्स का कहना है कि आर्थिक ढाँचा ही मूल ढाँचा होता है, जो अन्य सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक ढाँचे को आकार प्रदान करता है। कहने का तात्पर्य है कि यदि आर्थिक स्थिति अच्छी है तो अन्य परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल किया जा सकता है।
यह सही है कि वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर घट रही है, लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में से एक है। वर्तमान में सफल घरेलू उत्पाद में भारत विश्व की 5वीं बड़ी अ है। वर्ष 2024 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। अतः अच्छ अर्थव्यवस्था रोजगार सृजन करती है, जिससे विकास को बल मिलता है। ऐसे में न्यू इण्डिया की संकल्पना अस नहीं है।
आज भारत जनांकिकीय लाभांश की स्थिति में है। भारत के कार्यबल में शामिल आबादी का 62% औसत 28 वर्ष के युवा है, जो भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान है, जो एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इससे भारत को चहुमूल्य विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। वस्तुत: आज भारत आईटी हब बन चुका है।
भारत में शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार हो रहा है। भारत में प्राथमिक स्तर पर ती शत-प्रतिशत नामांकन दर प्राप्त है, साथ ही उच्च स्तर पर विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से शिक्षित प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार कर रहा जो न्यू इण्डिया के निर्माण में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
भारत आज अन्तरिक्ष, सैन्य, खाद्यान्न, स्वास्थ्य उद्योग आदि क्षेत्रों में अभूतपूर्व उपलब्धि प्राप्त कर रहा है, साथ ही अपने लोकतन्त्र को और अधिक मजबूत किया है। इस प्रकार की उपलब्धि यदि निरन्तर रही, तो न्यू इण्डिया का निर्माण हो सकता है। आज भारत में आधारभूत संरचना का तेजी से विकास हो रहा है, लोगों को ऊर्जा व ईंधन की प्राप्ति हो रही है, डिजिटल इण्डिया व ई-गनेंस को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कोशिश की जा रही है। इन सभी से न्यू इण्डिया के निर्माण को बल मिलेगा।
न्यू इण्डिया सुझाव
न्यू इण्डिया के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु विकास को निचले स्तर से प्रारम्भ करना होगा तथा नीतियों को व्यावहारिक रूप देना होगा, जिससे समावेशी विकास द्वारा उच्च आर्थिक संवृद्धि प्राप्त की जा सके। इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु कृषि का आधुनिकीकरण करने की आवश्यकता है। साथ ही पूर्वोत्तर भारत के कम विकसित क्षेत्रों पर ध्यान देना भी आवश्यक है, ताकि देश में सन्तुलित विकास हो।
न्यू इण्डिया के निर्माण को पूरा करने के लिए भ्रष्टाचार का उन्मूलन करना, सरकारी सेवाओं को प्रभावी बनाना, काले धन को नष्ट करना, ईज ऑफ डूइंग रैंकिंग में सुधार करना, मानव विकास सूचकांक में सुधार करना, पारदर्शी उत्तरदायी शासन जैसे ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
हमारे समाज में मॉब लिंचिंग, साम्प्रदायिक उन्माद जैसी स्थिति उत्पन्न हो, इसके लिए भी ठोस कदम उठाने चाहिए। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि न्यू इण्डिया के निर्माण हेतु साम्प्रदायिक सौहार्द का वातावरण विकसित करने पर बल दिया जाए।
Conclusion
अन्त में कहा जा सकता है कि निश्चित रूप से न्यू इण्डिया-2022 के सामने कुछ चुनौतियाँ हैं, परन्तु इस धरती पर ऐसी कोई चुनौती नहीं है, जिसका कोई समाधान नहीं है। फिर वर्तमान भारत सरकार की न्यू इण्डिया 2022 की संकल्पना मात्र एक कोरी कल्पना नहीं है, बल्कि तार्किक व अनुकूल परिस्थितियों पर आधारित संकल्पना है। इस संकल्पना को पूरा करने हेतु जहाँ नीति आयोग थिंक टैंक के रूप में कार्य कर रहा है, वहीं भारत सरकार भी विभिन्न परियोजनाओं जैसे-जन-धन योजना, डिजिटल इण्डिया, उज्ज्वला योजना, स्किल इण्डिया मिशन, भारत नेट परियोजना, जल शक्ति मिशन, आयुष्मान भारत, सतत विकास व समावेशी विकास इत्यादि के माध्यम से न्यू इण्डिया के निर्माण को सम्भव बनाने का सकारात्मक प्रयास कर रही है।