5g नेटवर्क इन इंडिया
दूरसंचार के क्षेत्र में 5G नेटवर्क इन इंडिया एक नवीन क्रान्तिकारी तकनीक है। यह तकनीक भविष्य में 4G तकनीकी के स्थान पर संचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व भूमिका निभाने के लिए तैयार है। दक्षिण से शुरू हुई इस तकनीक को भारत में 5G in india भी आरम्भ किया जा रहा है, जिससे भारत के सामाजिक, आर्थिक, रक्षा, अन्तरिक्ष आदि क्षेत्रों के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों को काफी गति मिलेगी व राष्ट्र का विकास तेजी से होगा। यद्यपि इसके मार्ग में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, लेकिन चुनौतियों के कारण इस नवीन तकनीक को अस्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि आज का युग सूचना संचार एवं प्रौद्योगिकी का युग है और इसके बिना विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
5G तकनीक इण्टरनेट की पाँचवी पीढ़ी (Fifth Generation) है तथा इसे डाटा ट्रांसफर करने का अब तक का सबसे तेज और सुरक्षित माध्यम माना जा रहा है। इसकी गति लगभग 1 Gbps से भी अधिक होगी, जोकि सामान्य बायरलैस मोबाइल फोनों से लगभग दस गुना अधिक है। 5G नेटवर्क इन इंडिया तेज गति डाटा ट्रांसफर और कम लेटेंसी होने के कारण 3G अपनी पिछली पीढ़ियों से काफी सुदृढ़ है। डाटा के समूह को सेण्डर से रिसीवर तक पहुँचने वाले समय को नेटवर्क लेटेंसी कहते हैं। 5G technology क्या है
5G तकनीकी की विशेषता
• यह तकनीकी उच्च रिजोल्यूशन क्षमता वाली, उच्च बैण्ड विध आकार की द्विविमीय प्रौद्योगिकी है।
• यह त्रुटिरहित नीति पर आधारित उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान करती है।
• इसके माध्यम से रिमोट प्रबन्धन के साथ तीव्र समाधान सम्भव होता है।
• इसकी गति 4G की अधिकतम स्पीड से 20 गुना तेज है।
• 5G तकनीक में नेटवर्क सेटेंसी 1 मिली सेकण्ड तक हो जाएगी। लेटेंसी जितनी कम होती है, डाटा ट्रांसफर की गति उतनी ही तेज होती है।
5G कैसे काम करता है? 5G in india
5G नेटवर्क इन इंडिया के प्रसारण के लिए किसी भी प्रकार के टाबर की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि इसमें सिम्नलों का ट्रांसमिशन छतों अथवा बिजली के खम्भों में लगे छोटे सेल स्टेशनों के माध्यम से किया जाएगा। ये छोटे सेल मिलीमीटर तरंग स्पेक्ट्रम के कारण काफी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होते हैं। इस तकनीक का सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने के लिए अनलाइसेन्स्ड स्पेक्ट्रम का प्रयोग किया जाएगा। अनलाइसेन्स्ड स्पेक्ट्रम, ऐसा स्पेक्ट्रम होता है जिसे प्राप्त करने के लिए हर कोई स्वतन्त्र है तथा इसके लिए प्राप्तकर्ता को महँगे लाइसेन्स एवं विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि यह अनलाइसेन्स्ड होने के साथ प्रयोग के सभी मानकों एवं निर्देशों से भी मुक्त हो जाती है। वस्तुतः इसके प्रयोग के लिए भी तय मानकों का अनुपालन करना अनिवार्य होता है।
50 तकनीक के अन्तर्गत विभिन्न अत्याधुनिक तकनीकों; जैसे- मीमो, टीडीडी आदि का प्रयोग किया जाएगा। मीमो (Multiple Input Multiple Output, MIMO) तकनीकी लगभग 952 एमबीपीएस की तीव्रता के साथ डाउनलोडिंग क्षमता प्रदान करेगी।
5G तकनीकी के अनुप्रयोग
•यह दूरसंचार/टेलीकॉम तकनीक का मिश्रण है, जिसमें बहुत कम ऊर्जा का प्रयोग होता है तथा यह विकिरण भी बहुत कम उत्पन्न करता है साथ ही व्यापक कनेक्टिविटी के माध्यम से बहुत अधिक डाटा गति प्रदान करता है।
* इस तकनीकी को इण्टरनेट ऑफ चिंग्स के लिए एक नेटवर्क के रूप में बनाया गया है, जिससे लोगों के आम जीवन से सम्बन्धित काम काफी आसान हो जाएँगे।
• इसका प्रयोग केवल मोबाइल और लैपटॉप पर ब्राउजिंग तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका प्रयोग कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य, सार्वजनिक सुरक्षा, शहरों की आधारभूत संरचना का विकास करने आदि में भी होगा।
वैश्विक स्तर पर 5G
• 5G तकनीकी को लेकर पूरा विश्व बेहद उत्सुक है तथा इसे प्राप्त करने हेतु अत्यन्त तीव्र गति से अग्रसर है।
• चीन के उद्योग एवं सूचना प्रौद्योगिकी मन्त्रालय ने 5G कनेक्शन हेतु लगभग 3300-3600 मेगाहर्ज, 3400-3600 और 4800 से 5000 मेगाहर्ट्ज तक की फ्रीक्वेंसी के बैण्ड की घोषणा जारी की है।
• जापान ने 5G बैण्ड के लिए लगभग 3700 मेगाहर्ज, 4500 मेगाहर्ज और 28 गीगाहर्ट्ज तक के बैण्ड की घोषणा की है।
*यूरोप में 5G कनेक्शन को लेकर प्रारम्भिक कार्य लगभग 3400 से 3800 मेगाहर्ज की स्पेक्ट्रम रेज पर केन्द्रित है।
• संयुक्त राज्य अमेरिका भी इस क्षेत्र में काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। साथ ही आयरलैण्ड, चेक गणराज्य, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण कोरिया आदि देशों ने 5G बैण्ड के लिए नीलामी की प्रक्रिया पूर्ण कर ली है।
*दक्षिण कोरिया ने प्योन्गचांग में आयोजित हुए शीतकालीन ओलम्पिक में 5G कनेक्शन के क्षेत्र में विश्व के समक्ष अपनी नेतृत्वकारी भूमिका का प्रदर्शन किया।
• इसी प्रकार कतर की दूरसंचार कम्पनी ओउरेडू ने वर्ष 2018 में विश्व का पहला व्यावसायिक 5G नेटवर्क प्रारम्भ किया, जो लगभग 3.5 गीगा हर्ज के बैण्डविड्थ पर आधारित था।
वस्तुत: 5G कनेक्शन अभी सभी जगह नहीं पहुँच पाया है। यहाँ तक कि अमेरिका जैसे देशों में भी यह अभी कुछ ही शहरों तक पहुँच पाया है। सभी देशों की प्रमुख दूरसंचार कम्पनी इस दिशा में तीव्र गति से प्रयासरत हैं।
भारत में 5G नेटवर्क इन इंडिया से सम्भावित लाभ
• भारत ने 2G, 3G एवं 4G को प्रारम्भ करने में काफी बिलम्ब किया था, लेकिन इस बार भारत पहले बाली गलती दोहराना नहीं चाहता, बल्कि सरकार ने वर्ष 2020 के अन्त तक देश में 5G तकनीकी को बाणिज्यिक रूप से लागू करने का लक्ष्य सुनिश्चित किया है।
• भारत में 5G तकनीकी से सम्बन्धित एक समिति का गठन किया गया, जिसने अपनी सिफारिश में 5G के स्पेक्ट्रम के प्रारम्भिक आवण्टन, उपलब्ध स्पेक्ट्रम की मात्रा में वृद्धि और स्पेक्ट्रम के मूल्य को घटाने के लिए कहा। साथ इसने तीन प्रकार से प्रयास प्रारम्भ किया- भारत द्वारा वैश्विक स्तर पर सम्मेलनों का आयोजन, राष्ट्रीय 5G कार्यक्रम का आयोजन और भारत की विशिष्ट 5G अनुप्रयोगों के लिए कार्यक्रमों के आयोजन की सिफारिश की।
• 5G तकनीक का भारत में यदि सफलतापूर्वक क्रियान्वयन हो जाता है, तो इससे भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में क्रान्ति आ जाएगी।
• इस तकनीक से भारत सरकार के डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम, मेक इन इण्डिया, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इत्यादि क्षेत्रों को गति मिलेगी। साथ ही इसके माध्यम से न्यू इण्डिया मिशन, स्मार्ट सिटी परियोजना, भारत नेट परियोजना आदि को सफल बनाया जा सकता है।
• 5G तकनीक जिसे इण्टरनेट की पाँचवी पीढ़ी कहा जाता है, के द्वारा भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि, रोजगार सृजन अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण इत्यादि किया जा सकता है।
● भारत में 5G तकनीक भारत सरकार की भारतनेट परियोजना आदि को सफल बना सकती है। भारतनेट परियोजना के अन्तर्गत सभी घरों में लगभग 2 एमबीपीएस से लेकर 20 एमबीपीएस तक की ब्रॉडबैण्ड सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य है।
• इस तकनीक माध्यम से भारत में सूचना, सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य परिवहन आदि क्षेत्रों में भी क्रान्तिकारी परिवर्तन आने की सम्भावना है। इसके माध्यम से टेली मेडिसीन, टेली एजुकेशन इत्यादि क्षेत्रों को और अधिक बल मिलेगा,जिससे भारत के किसी भी रिमोट क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की सुविधा पहुँचाई जा सकती है।
• ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत में 5G तकनीक के द्वारा डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे भारत को 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में सहायता मिलेगी।
5G तकनीक में चुनौतियाँ
• वर्तमान में जो नेटवर्क उपलब्ध है, उसकी अपेक्षा 5G कनेक्शन अत्यधिक महँगा है 5G में निवेशकों द्वारा प्रतिवर्ष 82000 बिलियन से भी अधिक के निवेश करने की आवश्यकता है, जिस कारण निवेशकों को यह हतोत्साहित करती है।
• सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों के अनुसार भारत में 5G के लिए उपयुक्त आधारभूत संरचना की काफी कमी है और इसे विकसित करना स्वयं में एक चुनौती है।
• वर्ष 2016 में भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में रिलायन्स जियो के कदम रखने से अन्य स्पेक्ट्रम ऑपरेटरों के राजस्व में भी कमी आई है।
• 50 तकनीक के सन्दर्भ में स्वास्थ्य से सम्बन्धित चुनौतियाँ भी है। यही कारण है कि कुछ वैज्ञानिकों ने 5G प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी से पहले सरकार से इसके दुष्प्रभाव की जाँच की माँग की है। यूरोप में तो 244 वैज्ञानिकों द्वारा इसके विरुद्ध 5G अपील नाम से ऑनलाइन विरोध चल रहा है। वस्तुतः इस बाल से इनकार नहीं किया जा सकता है कि 5G तकनीकी से निकलने वाला विकिरण मानय व पशु-पक्षी के साथ पूरे सजीव जगत को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। इससे निकलने वाला विकिरण हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
Conclusion
यह सही है कि भारत में अभी 5G नेटवर्क इन इंडिया तकनीकी से सम्बन्धित आधारभूत संरचना, निवेश व स्वास्थ्य सम्बन्धी चुनौतियाँ हैं, लेकिन सरकार को जल्द से जल्द इन चुनौतियों का उचित समाधान करके इस तकनीकी को भारत में लागू करना चाहिए। भारत में 5G तकनीकी के आगमन से आर्थिक सामाजिक-सामरिक आदि सभी क्षेत्रों में गतिशीलता आएगी तथा देश के विकास को और अधिक बल मिलेगा।
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