हिमालय की उत्पत्ति प्रमुख दर्रों एवं हिमालय का लाभ

इस पोस्ट में आपको बताने जा रहे हिमालय पर्वत की उत्पत्ति कैसे हुई, हिमालय की प्रमुख चोटियों और दर्रों के नाम,हिमालय पर्वत का भारत के लिए क्या महत्व है,हिमालय की श्रेणियां कौन सी है,हिमालय का लाभ इस विषय पर हमने इस पोस्ट में जानकारी देने का प्रयास किया है।  

हिमालय पर्वत की उत्पत्ति कैसे हुई? 

हिमालय पर्वतमाला का निर्माण अल्पाइन युग में हुआ है। ये संसार के नवीनतम पर्वत हैं। हिमालय एवं इससे सम्बद्ध पर्वतमालाओं के निर्माण का क्रम लाखों वर्षों तक चला। इसका निर्माण टैथीज सागर में संचित तलछटों से हुआ है। ऐसा माना जाता है कि टैथीज तट पर स्थित तलछटी परतों पर पड़ने वाला दबाव बल (Force) उत्तरी भूखंड (अंगारालैंड) की ओर से आया जिसकी दिशा दक्षिण में स्थित गोंडवानालैंड की ओर थी। दक्षिणी प्रायद्वीपीय इसी भूखंड का एक भाग है। यह भूखंड कठोर एवं सुदृढ़ होने के नाते इस बल के सामने नहीं झुका। अतः इस बल का प्रभाव टैथीज सागर के संचित तलछट पर पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वतमाला का निर्माण हुआ।

हिमालय की उत्पत्ति प्रमुख दर्रों एवं हिमालय का लाभ


रचना:-
भू वैज्ञानिक सर्वेक्षणों से प्राप्त तथ्यों के गहन अध्ययन से यह लगभग निश्चित हो गया है कि पर्वत उत्थान की यह प्रक्रिया मुख्यतः तीन अवस्थाओं में घटी है।

1. प्रथम अवस्था में मुख्य हिमालय का उत्थान अल्पनूतन (Oligocene) युग में हुआ। इसकी पहचान केन्द्रीय हिमालय के उत्थान से की जा सकती है जिसका निर्माण रवेदार तथा तलछटी शैलों से हुआ है।

2. दूसरा उत्थान मध्य नूतन (Miocene) युग में हुआ। इस उत्थान का प्रभाव मुख्यतः पश्चिमी पाकिस्तान में स्थित पोतवार प्रदेश में विस्तृत बेसिन में निक्षेपित तलछटों के संवलनों पर पड़ा।

3. हिमालय का तीसरा उत्थान अभिनूतन युग (Pliocene ) में हुआ। इस उत्थान में लघु हिमालय के दक्षिण में पाई जाने वाली संकरी खाई का तल भी ऊपर उठ गया और बाह्य हिमालय का निर्माण हुआ जिसे शिवालिक की पहाड़ियाँ भी कहते हैं।

इन तीनों अवस्थाओं के पहले, कराकोरम एवं अन्य सम्बद्ध पर्वत शृंखलाओं का उत्थान हुआ और यह प्रक्रिया क्रिटेशियस कल्प तक पूरी हो चुकी थी।

हिमालय का क्या का अर्थ है?

हिमालय पर्वत का अर्थ संस्कृत भाषा के दो शब्दों – हिम तथा आलय से मिलकर बना है। जिसका मतलब होता है बर्फ का घर। हिमालय पर्वत श्रृंखला भारत का सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है। हिमालय को पर्वतराज कहते है जिसका अर्थ हैं पर्वतों का राजा होता है।

हिमालय पर्वत को कालिदास पृथ्वी का मापदंड मानते है। हिमालय पर्वतों के कन्दराओ ( गुफाओं) में सदियों से प्रषि मुनियों का वास रहा है। और यह तपस्या करते हैं।

हिमालय पर्वत सात सीमाओं में फैला है-भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान ,नेपाल,चीन, भूटान,और म्यांमार

हिमालय की श्रेणियाँ

1. ट्रांस हिमालय क्षेत्रः इसके अन्तर्गत काराकोरम, लद्दाख, जॉस्कर आदि पर्वत श्रेणियाँ आती हैं। K2 गॉडविन ऑस्टिज (8611m) काराकोरम की सर्वोच्च चोटी है जो भारत की सबसे ऊँची चोटी है।

2. हिमाद्रि अर्थात् सर्वोच्च या वृहद् हिमालये यह हिमालय की सबसे ऊंची श्रेणी है। इसकी औसत ऊँचाई 6000 मी० है। विश्व की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट (नेपाल) इसी पर्वत श्रेणी में स्थित है। कंचनजंघा नंगापर्वत, नंदादेवी, कॉमेट व नामचाबरवा आदि इसके कुछ महत्वपूर्ण शिखर हैं।

3. सर्वोच्च हिमालय या वृहत् हिमालय (हिमाद्रि) के दक्षिण में मध्य या लघु हिमालय स्थित है। इसे हिमाचल हिमालय भी कहते हैं। इस भाग में अनेक महत्त्वपूर्ण पर्वतीय नगर स्थित हैं। जैसे-शिमला, मंसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग आदि। नेपाल की महाभारत श्रेणी भी इसी का अंग है।

4 शिवालिक अर्थात् निम्न या वाह्य हिमालय यह हिमालय का नवीनतम भाग है। शिवालिक एवं लघु हिमालय के बीच कई घाटियाँ हैं जैसे-काठमांडू घाटी पश्चिम इन्हें दून या द्वार कहते हैं। जैसे-देहरादून और हरिद्वार शिवा लक के निचले भाग को तराई कहते हैं।

हिमालय पर्वत से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

हिमालय के प्रमुख दर्रा

1.काराकोरम दर्रा- (जम्मू कश्मीर) भारत का सबसे ऊंचा दर्रा 5624 मी. है। 
2.जो जिला दर्रा ( जम्मू कश्मीर)
3 पीर पंजाल दर्रा ( जम्मू कश्मीर)
4.बनिहाल दर्रा (जम्मू कश्मीर)
5.बुर्जिल दर्रा ( जम्मू कश्मीर)
6.शिपकीला दर्रा (हिमाचल प्रदेश)
7.रोहतांग दर्रा (हिमाचल प्रदेश)
8.बड़ालाचा दर्रा (हिमाचल प्रदेश)
9.लिपुलेख दर्रा (उत्तराखण्ड)
10.माना दर्रा (उत्तराखण्ड)
11.नीति दर्रा ( उत्तराखण्ड)
12.नाथूला दर्रा (सिक्किम)
13.जैलेप्ला दर्रा (सिक्किम)
14.बोमडिला दर्रा (अरुणाचल प्रदेश)
15.यांग्याप दर्रा (अरुणाचल प्रदेश)
16.दिफू दर्रा  (अरुणाचल प्रदेश)
17.तुजु दर्रा (मणिपुर)

हिमालय की उत्पत्ति प्रमुख दर्रों एवं हिमालय का लाभ


हिमालय पर्वत का लाभ


प्राकृतिक लाभ

हिमालय पर्वत के लाभ की बात कि जाये तो भारत इसका काफी महत्व रहा है इसका सबसे अच्छा उदाहरण हम उत्तरी भारत के मैदान को देख सकते हैं क्योंकि इन मैदानों का निर्माण सिन्धु – गंगा, ब्रह्मपुत्र का मैदान आदि हिमालय की नदियों से लाये गये जलोढ़ निक्षेषों से निर्मित है।

हिमालय पर्वतमाला का सबसे बड़ा लाभ दक्षिणी एशिया के क्षेत्रों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हिमालय की पर्वत श्रृंखलायें साइबेरियाई शीतल वायुराशियों को रोक कर भारतीय उपमहाद्वीय को जोड़ों में अधिक ठंडा होने से बचाती है।

हिमालय पर्वत की श्रेणियाँ मानसून पवन के रास्ते में रोकावट का भी कार्य करते हैं जिससे उन क्षेत्र मे पर्वतीय वर्षा कराती है जिस कारण इस क्षेत्र का पर्यावरण और अर्थव्यवस्था काफी हद इस पर निर्भर है।

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आर्थिक लाभ

हिमालय का सबसे बड़ा महत्व है इसका जल स्रोत्र जो कि कई देशों के सिंचाई और उनके अर्थव्यवस्था का साधन है क्योंकि इन से निकलने वाली कई नदियों है जो भारत के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, और बंग्लादेश आदि को महत्वपूर्ण जल संसाधन उपलब्ध होते हैं।

हिमालय का महत्व चिकित्सा औषधि सम्बंधित क्षेत्र के लिए भी  लाभदायक है क्योंकि औषधीया, कई प्रकार के बीमारी के लिए आयुर्वेदिक औषधि के लिए जड़ी बूटी आदि सभी हिमालय की गोद में ही मिलती जिसका प्रयोग करके कई रोग के लिए दवाइयाँ बनाई जाती है।

मवेशियों के लिए भी हिमालय का महत्व है क्योंकि हिमालय के कई क्षेत्रों चरागाह में नर्म घास वाले क्षेत्र पाए जाते है! इनको पश्चिम हिमालय में मर्ग और कुमायूँ क्षेत्र में बुग्याल जाना जाता है।

हिमालय की उत्पत्ति प्रमुख दर्रों एवं हिमालय का लाभ


मर्ग का अर्थ


मर्ग था केदार या चारागाह ऐसे मैदान को कहते जिसमे वृक्षों की बजाए घास व अन्य छोटे पौधे ही उग रहे हो! इसमें अक्सर मवेशी  चराए जाते है।

बुग्याल का अर्थ

उत्तराखण्ड के गढ़वाल हिमालय मे हिमशिखरों की तलहटी मे जहाँ टिम्बर रेखा (यानी पेड़ो की पक्तियाँ) समाप्त हो जाता है, वहाँ से हरे मखमली घास के मैदान आरम्भ होने लगते है। आमतौर पर ये 8 से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित होते होते है। गढवाल हिमालय में इन मैदानों को बुग्याल  बोला जाता है ।

पश्चिमी हिमालय का महत्व

(i) पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में कश्मीर घाटी स्थित है। यहाँ शीतोष्ण कटिबन्धीय जलवायु पाई जाती है।
(ii) शीतोष्ण से लेकर अल्पाइन प्रकार की वनस्पति का पाया जाना यहाँ की विशेषता है।
(iii) यहाँ पानी की पर्याप्त आपूर्ति है।
(iv) यह अनेक वृहत् हिमालय की उच्च पर्वत श्रेणियों से घिरा है जहाँ अनेक प्रकार की जलवायु पाई जाती है।
(v) ऊँचाई के साथ-साथ जलवायु और वनस्पति के प्रकार में अंतर पाया जाता है।
(vi) सूर्यातप और वर्षा कम होती है। पूर्वी हिमालय की अपेक्षा वर्षा काफी कम होती है।

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हिमालय के  प्रमुख नदी तंत्र

सिन्धु नदी तंत्र

यह संसार की बड़ी नदियों में से एक है। यह कुल 1163000 वर्ग किमी. (भारत में 321280 वर्ग कि.मी.) क्षेत्र पर बहती है तथा इसकी कुल लंबाई 2880 किमी (भारत में 1113 किमी.) है। यह भोकर चू ग्लेशियर (31.15° उ. अक्षांश तथा 40° पू. देशान्तर) से निकलती है जो तिब्बत के पठार पर कैलाश पर्वत पर है। तिब्बत में इसे सिन्गी खमबन कहते हैं। उत्तर-पश्चिम को बहती हुई लख और जास्कर श्रेणियों के मध्य से जाती हुई लद्दाख और बाल्टिस्तान जाती है। यह पाकिस्तान में चिल्लर के समीप प्रवेश करती है।

इसमें हिमालय से निकलने वाली कई सहायक नदियाँ आकर मिलती हैं जिनमें शाईलोक, गिलगित, जास्कर, हुजा, नुब्रा और डास आदि प्रमुख हैं। अटक के पास इसमें काबुल नदी मिलती है। दक्षिण से बहने वाली सहायक नदियाँ जिन्हें पंजनद कहते हैं वे सततुन, व्यास, रावी, चेनाव तथा झेलम हैं। अन्त में यह कराची के पास अरब सागर में गिरती है।

गंगा नदी तंत्र

गंगा भारत की प्रमुख नदी है। यह गंगोत्री गोमुख (3900 मी.) से निकलती है जो उत्तरांचल के उत्तरकाशी में है। यहाँ इसे भागीरथी कहते हैं। देवप्रयाग पर भागीरथी, अलकनंदा से मिलती है इसके बाद इसे गंगा कहते हैं। अलकनंदा, बद्रीनाथ के पास सातोपंथ हिमानी से निकलती है। गंगा हरिद्वार पर मैदानों में प्रवेश करती है। यहाँ से दक्षिण की ओर बहकर भागीरथी और हुगली नदी में विभाजित हो जाती है। गंगा की कुल लंबाई 2525 किमी. है। गंगा नदो तंत्र भारत में सबसे बड़ा नदी तंत्र है। प्रमुख सहायक नदियाँ यमुना, सोन, गोमती, घाघरा, गंडक आदि हैं। अन्त में यह नदी बंगाल की खाड़ी में सागर द्वीप के पास मिल जाती है।

ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र 

ब्रह्मपुत्र संसार की सबसे बड़ी नदियों में से एक है। इसका उद्गम स्थल मानसरोवर के पास कैलाश श्रेणी के चेम्युग दंग हिमानी से है। यहाँ से यह पूर्व की ओर बहती है। तिब्बत के पठार पर इसे सांग्पो नदी कहते हैं। नामचा बरवा पर यह गहरा खड्ड  बनाती है। यह अरुणाचल प्रदेश में सदिया नगर के पास भारत में प्रवेश करती है। बायीं ओर से इसकी सहायक नदियाँ दियांग अथवा सिकांग तथा लोहित हैं। इनके बाद इसे ब्रह्मपुत्र कहा जाता है।

ब्रह्मपुत्र में कई सहायक नदियाँ आकर मिलती है। प्रमुख सहायक नदी बूढ़ी दिहांग, घनसारी और कलांग हैं। दायों और सबनसारी हिमालय, कमांग मनास, और संकोरा है। ब्रह्मपुत्र बांग्लादेश में दुबरी के समीप प्रवेश करती है। बांग्लादेश में तिस्ता इसके दायी ओर आकर मिलती है। यहाँ से इस नदी को यमुना कहा जाता है। अन्त में यह पंद्या में मिलकर खाड़ी बंगाल में मिल जाती है। ब्रह्मपुत्र कुल लंबाई 2900 किमी. है।

हिमालय से जुड़े महत्वपूर्ण G.K Question

प्रश्न 1. ऐसी तीन पर्वत श्रेणियों के नाम बताइये, जो 8000 मी. से ऊँची हैं?
उत्तर-1. एवरेस्ट (सागरमाथा) (8848 मी.)
2. कंचनजंगा (8598 मी.)
3. अन्नपूर्णा (8078 मी.)

प्रश्न 2. हिमालय की लंबाई-चौड़ाई कितनी है?
उत्तर-हिमालय की लंबाई 2500 किमी. तथा चौड़ाई 150 से 400 किमी. के बीच है।

प्रश्न 3. भारत की चार सबसे बड़ी हिमानियों के बताइये

उत्तर-भारत की सबसे बड़ी हिमानियाँ निम्न हैं:
1. सियाचीन (Siachen) 75 कि.मी. लंबी है।
2. हिस्पार (Hispar) 62 कि.मी. लंबी है।
3. बिआफो (Biafo) 59 किमी. लंबी है।
4. बाल्टोरो (Baltoro) 58 किमी. लंबी है।

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प्रश्न 4. भारत का सबसे प्राचीन विवर्तनिक पर्वत कौन सा है?
उत्तर- अरावली पर्वत ।

प्रश्न 5. टैथीज सागर कहाँ था?
उत्तर-जहाँ आज हिमालय तथा भारत का उत्तरी मैदान वहाँ टैथीज सागर था।

प्रश्न 6. भारत के नवीन और प्राचीनतम पर्वतों में एक-एक का उदाहरण दीजिए।
उत्तर- नवीनतम पर्वत हिमालय।
प्राचीनतम पर्वत : अरावली।

प्रश्न 7. संसार के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर का नाम बताओ।
उत्तर- माउण्ट  एवरेस्ट ।

प्रश्न 8. किस युग में हिमालय पर्वत का जन्म हुआ?
उत्तर-अल्पाइन युग में हुआ है

प्रश्न 9. भारत को कितने वृहद् प्रदेशों में विभाजित कर सकते हैं?
उत्तर- तीन।

प्रश्न 10. हिमालय के उत्तर में कौन-सा स्थल भाग स्थापित था?
उत्तर-अंगारालैंड।

प्रश्न 11.करेवा हमें कहाँ मिलते हैं?
उत्तर-कश्मीर हिमालय।

प्रश्न 12.हिमालय को कितने श्रेणी में बाटा गया है? 

उत्तर- चार

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नमस्कार दोस्तों, मैं अमजद अली, Achiverce Information का Author हूँ. Education की बात करूँ तो मैंने Graduate B.A Program Delhi University से किया हूँ और तकनीकी शिक्षा की बात करे तो मैने Information Technology (I.T) Web development का भी ज्ञान लिया है मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है. इसलिए मैने इस Blog को दुसरो को तकनीक और शिक्षा से जुड़े जानकारी देने के लिए बनाया है मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे

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