पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

आप का स्वागत है हमारे Achiverce Information में यहाँ पर हम परीक्षा से सम्बन्धित कई पोस्ट डालते है । तो आज का Topic है पृथ्वी की उत्पति एवं विकास से सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य के बारें में लिखा है। 

अपना Topic शुरू करने से पहले कुछ भोगोलिक शब्दावली की परीभाषा:-


(i) नैबुला (Nebula) -धूल और गैसों का विशालकाय बादल जो भंवरदार गति से अंतरिक्ष में धूम रहा था और जिससे  सौर मंडल की उत्पत्ति हुई नेबुला कहलाया । 

(ii) प्रकाश वर्ष (Light Years) –यह समय का नहीं दूरी का माप है। प्रकाश की गति 3 लाख कि. मी. प्रति सेकेंड है विचारणीय है कि एक साल में प्रकाश जितनी दूरी तय करेगा, वह प्रकाश वर्ष होगा। 

(iii) नितल (Basins) –महासागर की तली को नितल कहते हैं। 

(iv) प्रोक्सिमा सेन्चुरी(Proxima Century) –पृथ्वी के सबसे निकट का तारा जो पृथ्वी से 4.243 प्रकाश दूर है प्रोक्सिमा सेन्चुरी कहते हैं। 

(v) खगोलीय पिंड(Clestial Bodies) –ग्रह, उपग्रह, सूर्य आदि ठोस, द्रव अथवा गैसीय प्रदार्थो के बने पिडों को खगोलीय पिंड कहते हैं। 

(vi) पार्थिव ग्रह- इसका अर्थ है कि वे ग्रह पृथ्वी की भांति ही चट्टानों और धातु से बने हैं और अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले ग्रह हैं। 

अब हम अपने Topic को शुरू करते है। 

*पृथ्वी की उत्पत्ति(Origin of the Earth)- पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में कई भोगोलवेत्ता ने अपने अपने सिध्दान्त दिए हैं। 

(A) आरंभिक सिद्धांत मे पृथ्वी की उत्पति के सम्बन्ध में प्रारंभिक एवं लोकप्रिय  मत जर्मन दार्शनिक इमैनुअल कान्ट का है जो निहारिका परिकल्पना से जाना जाता है लाप्लेस 1976 इसका संशोधन किया।परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण सूर्य की युवा अवस्था से धीमी गति से घूमते हुए पदार्थ के कण बादल से हूआ है

जैफरी और चेम्बरलेन के अनुसार:- इनके अनुसार एक अन्य तारे की गुरुत्वाकर्षण के कारण सूर्य के तल में से सिगार के आकार का कुछ पदार्थ निकलकर अलग हो गया तथा सूर्य के चारो तरफ घूमने लगा व धीरे धीरे संघनित होकर ग्रह के रूप परिवर्तित हो गए। 

(B) आधुनिक सिद्धान्त ये सिद्धान्त बिग-बैंग सिध्दान्त(Big Bang theory) से  सम्बन्ध रखता है। इसे विस्तृत ब्रह्माण्ड परिकल्पना भी कहते है।

 बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड का विस्तार कई अवस्थाओं में हुआ है। 

The big bang theory images
WikiImages The Big Bang theory


(i)माना जाता है शरुआत में वे सभी प्रर्दाथ जिनसे ब्रह्माण्ड बना अति गोलकों के रुप में एक ही स्थान पर स्थित थे। 

(ii) बिग-बैंग की प्रक्रिया में अति छोटे गोलकों भीषण विस्फोट हुआ इस प्रकार की विस्फोट प्रकिया से वृहत विस्तार हुआ बिग-बैंग होने के आरंभिक तीन मिनट के अन्तर्गत  पहले अणुओ निर्माण हुआ

(iii) बिग-बैंग से तीन लाख वर्ष के दौरान तापमान 4500 डिग्री केल्विन तक गिर गया और आणविक पदार्थ का निर्माण हुआ और ब्रह्माण्ड पारदर्शी हो गया। 

(C) तारो का निर्माण- ब्रह्माण्ड में प्रर्दाथ का एकत्रण आकाशगंगा के विकास का आधार बना। एक आकाशगंगा मे असंख्य तारो का समूह है। माना जाता है एक अकेले आकाशगंगा का व्यास 80 हजार सें 1 लाख  50 हजार प्रकाश वर्ष के बीच हो सकता है। 
एक आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाईड्रोजन गैस से बने विशालकाय बादल के संचयन  से हूआ जिसे निहारिका के नाम से भी जाना गया। 
 . 
(D) हमारा सौर मंडल- हमारे सौर मंडल में नौ ग्रह है और इसके अतिरिक्त 63 उपग्रह लाखों छोटे-छोटे पिंड जैसे क्षुद्र ग्रह  धूमकेतु एवं अधिक मात्रा में धूल कण व गैसे हैं। 
Soler systems image
This image only education purpose create by
WikiImages


इन नौ ग्रह में बुध, शुक्र, पृथ्वी, और मंगल भीतरी ग्रह कहलाते हैं, क्योंकि ये सूर्य एवं आकाशगंगा के बीच स्थित है। अन्य पांच ग्रह बाहरी ग्रह हैं
नोट2003 में  एक  नया ग्रह 2003UB313 देखा गया है, जिसे दसवाँ ग्रह माना जा रहा है

(E) चन्द्रमा- चन्द्रमा पृथ्वी का अकेला प्राकृतिक उपग्रह है ऐसा विश्वास किया जाता है कि पृथ्वी के उपग्रह के रूप में चन्द्रमा की उत्पत्ति एक बड़े टकराव का नतीजा है जिसे “द बिग स्प्लैट” कहा जाता है।
Haff moon image

 
(F) पृथ्वी का उदभव- प्रारंभ में पृथ्वी चट्टानी, गर्म और वीरान ग्रह था जिसका वायुमंडल विरल था जो हाइड्रोजन व हिलियम से बना था। यह आज की पृथ्वी
के वायुमंडल से बहुत अलग था। अतः कुछ ऐसी घटनाये व क्रियायें अवश्य 
हुई जिनके कारण चट्टानी वीरान और गर्म पृथ्वी एक सुन्दर ग्रह में परिवर्तित हुई। पृथ्वी की संरचना परतदार है। 
पृथ्वी का उद्भव
पृथ्वी का उदभव

(G) पृथ्वी पर स्थलमंडल का विकास-बहुत से ग्रहणुओ के इकट्ठा होने से ग्रह बने। पृथ्वी की संरचना भी इसी प्रक्रम के अनुरूप हुई हैं।अत्यधिक ताप के कारण पृथ्वी आंशिक रूप द्रव अवस्था में रह गई और तापमान के अत्यधिक के कारण हल्के और भारी घनत्व के मिश्रण वाले पदार्थ घनत्व के अंतर के कारण अलग होना शुरू हो गये।

इसी अलगाव से भारी पदार्थ जैसे लोहा पृथ्वी के केन्द्र में चले गये और हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह या ऊपरी भाग की तरफ आ गये। समय के साथ यह और ठंडे हुए और ठोस रुप में परिवर्तित होकर छोटे आकार के हो गये। अन्त में वह पृथ्वी की भूपर्पटी के रूप में विकसित हो गये। हल्के व भारी घनत्व वाले पदार्थ के पृथक होने की इस प्रक्रिया को विभेदन कहा जाता है। 

(H) वायुमंडल व जलमंडल का विकास- पृथ्वी के वायुमंडल की संरचना में नाइट्रोजन और आक्सीजन का प्रमुख योगदान है। 

वायुमंडल के विकास की तीन अवस्थायें हैं। इसकी पहली अवस्था में आदिकालीन वायुमंडलीय गैसों न रहना। दूसरी अवस्था मे पृथ्वी के भीतर से निकली भाप एवं जलवाष्प ने वायुमंडल के विकास में सहयोग किया। अंत में
वायुमंडल की संरचना को जैवमंडल की प्रकाश सश्लेषण प्रक्रिया ने संशोधित किया। 

*जलमंडल का पृथ्वी पर विकास- पृथ्वी के ठंडा होने और विभेदन के दौरान पृथ्वी के अन्दरूनी भाग से बहुत सी गैसें व जलवाष्प बाहर निकले। इसी से आज के वायुमंडल का उदभव हुआ। वह प्रक्रिया जिससे पृथ्वी के भीतरी भाग
से गैसे ं धरती पर आई इसे गैस उत्सर्जन कहा जाता है। लगातार ज्वालामुखी विस्फोट से वायुमंडल में जलवाष्प व गैस बढ़ने लगी। 

पृथ्वी के ठंडा होने के साथ साथ जलवाष्प का संघनन शुरू हो गया। वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड के वर्षा के जल में घुलने से तापमान में और अधिक गिरावट आई फलस्वरूप अधिक संघनन व अधिक वर्षा हुई। पृथ्वी के धरातल पर वर्षा का जल गर्तों में इकट्ठा होने लगा। जिससे महासागर बने। पृथ्वी पर उपस्थित महासागर पृथ्वी की उत्पत्ति से लगभग 50 करोड़ सालों के अन्तर्गत बने। 

(I) पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति-पृथ्वी की उत्पत्ति का अन्तिम चरण जीवन की उत्पत्ति व विकास से संबंधित हैं। आधुनिक वैज्ञानिक जीवन की उत्पत्ति को एक तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया बताते हैं जिससे पहले जटिल जैव बने और उनका समूहन हुआ। हमारे ग्रह पर जीवन के चिन्ह अलग अलग समय की चट्टानों में पाये जाने वाले जीवाश्म के रूप में हैं। 300 करोड़ साल पुरानी चट्टानों में पाई जाने वाली सूक्ष्मदर्शी संरचना आज की शैवाल की संरचना से मिलती-जुलती है।

आप ऐसे ही महत्त्वपूर्ण सुचनाओ कि जानकारी पाने के लिए आप हमे हमारे सोशल मिडिया पर follow कर सकते हैं और Comment मे अपना किमती सुझाव जरूर दे । कि आप सभी को ये पोस्ट कैसा लगा। 




Sharing The Post:

नमस्कार दोस्तों, मैं अमजद अली, Achiverce Information का Author हूँ. Education की बात करूँ तो मैंने Graduate B.A Program Delhi University से किया हूँ और तकनीकी शिक्षा की बात करे तो मैने Information Technology (I.T) Web development का भी ज्ञान लिया है मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है. इसलिए मैने इस Blog को दुसरो को तकनीक और शिक्षा से जुड़े जानकारी देने के लिए बनाया है मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह हमारा सहयोग देते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे

Leave a Comment