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भारतीय सविधान की प्रमुख विशेषता |
सविधान का अर्थ। samvidhan ka arth
सविधान(samvidhan) कानूनो का वह दस्तावेज होता है जिसके द्वारा देश का शासन चलाया जाता है सविधान कहते हैं। सविधान एक ऐसा प्रारूप होता है जो ढाचा खड़ा करता जिनके अनुसार सरकार को कार्य करना होता है ।
सविधान(samvidhan) सरकार द्वारा सत्ता के दुरुपयोग को रोकता है देश की शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने तथा देश की शासन की जानकारी के लिए सविधान महत्वपूर्ण है।
भारतीय सविंधान की प्रमुख विशेषता
(1) लिखित सविधान
भारतीय सविधान एक लिखित सविधान है अर्थात लिपि बन्द है यह शासन सविधान के द्वारा किया जाता है । भारतीय सविधान का निर्माण एक सविधान सभा द्वारा किया गया। सविधान सभा 9 Dec. 1946 को बुलाई गयी इसके स्थायी अध्यक्ष डा. राजेन्द्र प्रसाद चुने गए तब सविधान बनाने का कार्य शुरू किया और भारत का सविधान 2 साल 11 महीने 18 दिन बनकर तैयार हुआ। इस प्रकार सविधान 26 नवम्बर 1949 तैयार हुआ परन्तु भारत का सविधान एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण दिन 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
परन्तु सविधान(samvidhan) बनाने का श्रेय डा. भीमराव आंबेडकर जी को जाता है क्योंकि वह प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। भारत का सविंधान
(2) विस्तृत सविधान
भारत का सविधान विश्व का सबसे बड़ा सविधान है इसमे 395 तथा 12 अनुसूचिया जिनको 22 भागो में बाटा गया है। सविधान में निरंतर संसोधन होते रहे है जिससे सविधान का आकार और भी विस्तृत होता जा रहा है।
(3) प्रस्तावन
भारतीय सविधान कि प्रस्तावना को सविधान का दर्पण भी कहा गया है भारत के सविधान से पहले सविधान की प्रस्तावना दी गई है। जिसमे सविधान के आदेशो और उपदेशो का वर्णन किया गया है।
(4) अनेक देशों से लिया गया प्रवधान
भारत का सविधान अनेक देशों से लिया गया सविधान है जहाँ से जो बाते अच्छी लगी वह बाते भारतीय सविधान में शामिल कर ली गई जैसे:-
- ब्रिटेन के सविधान से:- संसदात्मक शासन व्यवस्था, कानून निर्माण की प्रक्रिया, विधायिका के अध्यक्ष का पद
- जर्मनी के सविधान से:- आपातकालीन व्यवस्था
- अमेरिका के सविधान से:- मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्य, न्यायिक पुर्न निरीक्षण
- आयरलैंड के सविधान:-राज्य नीति निर्देशक सिध्दांत
(5) लचीला और कठोर सविधान
भारत का सविधान लचीला तथा कठोर है इसे लचीला सविधान इसलिए कहते है क्योंकि Act 368 के माध्यम से संसोधन किया जा सकता है और कठोर इसलिए कहा जाता है क्योंकि परिवर्तन करने की प्रक्रिया बहुत कठिन है। भारतीय सविंधान की विशेषता
(6) मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्तव्य
भारतीय सविधान में नागरिको 6 मौलिक अधिकार तथा 11 मौलिक कर्तव्य प्रदान किये गये है, मौलिक अधिकार व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक है और मौलिक कर्तव्य देश के प्रति वफादार बनाते है।
(7) न्याय की विशेषता
भारत के सभी नागरिको को सविधान मे सामाजिक, धार्मिक, व राजनीतिक न्याय प्रदान करने की बात की गई है सामाजिक न्याय का अर्थ है कि समाज मे भेदभाव नही होनी चाहिए ऊचाॅं नीच की भावना नही होनी चाहिए राजनीतिक न्याय का अर्थ है कि सभी को देश की शासन व्यवस्था में भाग लेने का अधिकार है।
(8) स्वतंत्रता विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म उपासना
भारत के सविधान स्पष्ट शब्दो मे कहा गया है कि भारतीय जनता को विचार अभिव्यक्ति, विश्वास धर्म उपासना की स्वतंत्रता होगी ताकि व्यक्ति अपने व्यक्तिव का पूर्ण विकास कर सके।
(9) समानता प्रतिष्ठा या अवसर की विशेषता
इसका अर्थ है कि सभी नागरिको को अपने विकास का समान अवसर दिया जाएगा और भेदभाव नही किया जाएगा।
(10) बंधुत्व
बंधुत्व का अर्थ है भाईचारे की भावना अर्थात सभी नागरिको को मिल जुल कर रहना चाहिए।
(11) लोकतंत्रात्मक की विशेषता
लोकतंत्रात्मक शब्द का अर्थ है कि भारत में जनता का शासन होगा और जनता के चुने हुए प्रतिनिधि जनता के हित में शासन करेगा।
(12) राष्ट्रीय की एकता व अखंडता की विशेषता
भारतीय सविधान के 42 वे संसोधन जो 1976 मे जोडा गया इसके द्वारा अखण्डता शब्द सविधान मे जोडा गया जिसका अर्थ है कि भारत के सभी लोग पूरे देश को अपनी मात्रभूमि समझे और इसके टुकडे करने की भावना को मन मे न लाए ।
(13) धर्मनिरपेक्षता की विशेषता
धर्मनिरपेक्ष शब्द 1976 में 42 वे संसोधन द्वारा जोड़ा गया जिसका अर्थ है कि राज्य किसी भी व्यक्ति के धर्म मे हस्तक्षेप नही करेगा क्योंकि धर्म व्यक्ति का निजी मामला है भारत के सभी नागरिको को किसी भी धर्म को मानने, धर्म प्रचार करने और उपासना करने की स्वतंत्रता होगी।
(14) समाजवाद की विशेषता
समाजवाद शब्द भी 42 वे संसोधन द्वारा जो 1976 मे हुआ जोड़ा गया इस शब्द का अर्थ है कि भारत में इस प्रकार की शासन व्यवस्था हो जिससे कि समाज के सभी वर्गों को अपना विकास और उन्नति करने के एक समान अवसर मिले।
(15) गणराज्य की विशेषता
भारत के सविधान में गणराज्य शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका बहुत महत्व है। गणराज्य का अर्थ है कि भारत का राज्य अध्यक्ष जनता द्वारा निर्वाचित होगा अर्थात भारत का राष्टपति जनता के द्वारा निश्चित समय के लिए चुना जाता है।
(16) संसदीय प्रणाली की विशेषता
संसदीय प्रणाली में वास्तविक शक्तिया मंत्रिपरिषद अर्थात प्रधानमंत्री के पास होता है इस शासन प्रणाली में विधानपालिका, कार्यपालिका पर(मंत्रिपरिषद पर) नियत्रंण रखती है और कार्यपालिका विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी, जिम्मेदार और जवाबदेही होती है।
(17) इकहरी नागरिकता की विशेषता
भारत में संघात्मक शासन व्यवस्था शासन है और संघात्मक शासन वाले देशो मे दोहरी नागरिकता पाई जाती है और भारत में इकहरी नागरिकता है। भारत में रहने वाला व्यक्ति भारतवासी कहलाता है।
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